झारखंड : पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया में 2 सबर ग्रामीण का देखें हाल, चलने-फिरने से भी है लाचार

पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया स्थित मुढाल गांव के दो सबर बंकिम और टुकलू का इलाज के अभाव में हाल बेहाल है. गरीबी के कारण इलाज कराने में असमर्थ दोनों सबर की स्थिति ऐसी हो गयी है कि मजबूरन बिस्तर पर ही जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. अब तक इनदोनों के लिए मदद की हाथ नहीं बढ़ी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2023 9:55 PM

चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम), राकेश सिंह : एक तरफ केंद्र एवं राज्य सरकार समाज के अंतिम पायदान के सबर जनजाति के लोगों के उत्थान के लिए प्रयासरत है. दूसरी ओर, निचले स्तर के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों की लापरवाही के कारण आज भी कई सबर इलाज के अभाव में गंभीर बीमारी झेलने को मजबूर हैं. ऐसा ही एक मामला पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया क्षेत्र में देखने को मिला. बड़ामारा पंचायत के मुढाल गांव में बंकिम सबर एवं टुकलू सबर लंबे समय से बीमार हैं. दोनों की हालत ऐसी है कि बिस्तर पर कराहते हुए अपना समय गुजार रहे हैं. चलने-फिरने में भी पूरी तरह से असमर्थ हैं. इसके बावजूद इनदोनों का कोई सुध नहीं ले रहा है.

लंबी बीमारी से कंकाल बन गया है बंकिम सबर

47 वर्षीय बंकिम सबर गांव में दूसरे के खेतों में मजदूरी का काम करता था. एक बार खेत में काम करने के दौरान हंसुआ से बंकिम का हाथ कट गया. धीरे-धीरे घाव बढ़ता चला गया. अब यह विकराल रूप ले चुका है. बंकिम काफी कमजोर हो चुका है. बिस्तर पर लेटे हुए कंकाल के समान रूप ले चुका है. बंकिम ने बताया कि दो-तीन वर्ष पहले ही बीमारी से उसके एक पुत्र की भी मौत हो गई थी.

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हाथ, पांव और कमर दर्द से परेशान है टुकलू

इधर, 55 वर्षीय टुकलू सबर की हालत भी काफी खराब है. टुकलू पिछले छह महीने से बिस्तर पर है. उसे हाथ, पांव एवं कमर में काफी दर्द है. दर्द के कारण चल-फिर भी नहीं सकता है. गरीबी के कारण अपना इलाज भी नहीं करा पा रहा है. इस परिस्थिति में बिस्तर पर लेटकर अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर है. उसकी पत्नी जंगल से पत्ते बीन कर अपना परिवार पाल रही है. उसके दो छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.

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