चांडिल डैम के सभी फाटक बंद करने से एकबार फिर डैम का पानी ईचागढ़ गांव में घुस गया है. इसके कारण ईचागढ़- लेपाटांड़ व ईचागढ़-बाकोलतोड़िया मार्ग जलमग्न हो गया है. मार्ग जलमग्न होने से दर्जनों विस्थापित व गैर विस्थापित गांव के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी मार्ग से रोजाना ग्रामीण व स्कूली बच्चे आना-जाना कर रहे हैं. किसान व राहगीर भी जान जोखिम में डालकर बाइक से सफर करने को विवश हैं. ठंड में डैम का पानी घरों के आस-पास घुस गया है. इससे क्षेत्र में ठंड बढ़ गयी है. ठंड में ईचागढ़ के गरीब विस्थापित परिवार तिरपाल से तंबू बनाकर परिवार के साथ रहने को विवश हैं.
स्कूल परिसर जलमग्न, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
ईचागढ़ गांव के मध्य विद्यालय परिसर में डैम का पानी घुस गया है. डैम का पानी घुसने से स्कूल के बाहर आंगन में जल-जमाव हो गया. इससे बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित हो गया.
चांडिल डैम के चार फाटक खुले
चांडिल डैम के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए विभाग ने डैम के 13 रेडियल गेट में से चार रेडियल गेट को 15 सेंटीमीटर खोल दिया है. मंगलवार शाम तक डैम का जलस्तर 181.75 मीटर पर था.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ईचागढ़ गांव में घुसे डैम के पानी को प्रशासन शीघ्र निकाले. ठंड में गांव में पानी घुसने से ग्रामीण सर्दी, व बुखार से पीड़ित हो रहे हैं. गरीब विस्थापितों का देखने वाला कोई नहीं है. विस्थापितों को अब तक न पुनर्वास स्थल और न ही संपूर्ण मुआवजा मिला है. पहले विस्थापितों को पुनर्वास स्थल व संपूर्ण मुआवजा देने के बाद डैम का जलस्तर बढ़ाया जाये. -तरुण घोषाल, विस्थापित ईचागढ़ गांव.
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ईचागढ़ गांव में पानी घुसने से चांडिल डैम के विस्थापित परेशान है. विस्थापित जीवन-यापन के लिए व्यवसाय करते हैं. लेकिन सड़क में पानी भरने से व्यवसाय ठप पड़ा है. व्यवसाय कर ही परिवार का भरण- पोषण करते हैं.
रामजी साहू, विस्थापित ईचागढ़ गांव
सड़क तक पानी भरे रहने से विस्थापितों को परेशानी हो रही है. घर के आंगन में पानी घुस गया है. बच्चों और बुजुर्ग काफी परेशान हैं .
संतोष कुमार साव, विस्थापित, ईचागढ़.
ईचागढ़ गांव की सड़क पर पानी जमा होने से आवागमन में दिक्कत हो रही है. स्कूलों बच्चों को पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है.
अमित मिश्रा, विस्थापित ईचागढ़.
सड़क तक पानी भरा रहने से विस्थापितों काभी दिक्कत हो रही है. घर के आंगन तक पानी जमा हुआ है. इस ठंड में डेम की जलस्तर नजदीक रहने के कारण कड़ाके की ठंड लगती है. उसके बावजूद भी विस्थापित अपने जीवन जापान के लिए रह रहें है.
संतोष कुमार साव, विस्थापित ईचागढ़.