Photos: अतीत की उपलब्धियों का गवाह बना सरायकेला का पातकुम संग्रहालय, दिखेंगे शिल्प कला के अद्भुत नमूने
सरायकेला स्थित चांडिल डैम के पास शीश महल में पातकुम संग्रालय हमारे अतीत की उपलब्धियों का गवाह बना है. यहां हमारे पूर्वजों की समृद्ध कला, संस्कृति एवं सभ्यता की झलक दिखती है. पांचवीं से 12वीं सदी के बीच की शिल्प कला के नमूने पत्थर की मूर्तियां, शिलालेख से आप अवगत हो सकते हैं.
सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश/हिमांशु गोप : सरायकेला जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर सुवर्णरेखा परियोजना के चांडिल बांध (डैम) के पास शीश महल में पातकुम संग्रहालय है. यह हमारे अतीत की उपलब्धियों से अवगत करा गौरवान्वित कर रहा है. संग्रहालय हजारों साल के बुलंद इतिहास का गवाह बना हुआ है. यहां हमारे पूर्वजों की समृद्ध कला, संस्कृति व सभ्यता की झलक दिखती है. यह आने वाली पीढ़ी और अतीत की स्मृतियों के बीच पुल है. यहां पांचवीं से 12वीं सदी के बीच की शिल्प कला के नमूने पत्थर की मूर्तियां, शिलालेख आदि रखे गये हैं. संग्रहालय में हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. चांडिल डैम शीश महल में सैलानियों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है.
चांडिल डैम निर्माण के वक्त मिली थीं प्राचीन मूर्तियांचांडिल डैम निर्माण के दौरान वर्ष 1990-92 की खुदाई में पाषाण काल की धरोहर मिलीं. इनमें अधिकतर मूर्तियां भगवान से जुड़ीं हैं. इनमें भगवान गणेश, शिव-पार्वती, नटराज, पारसनाथ, विष्णु आदि की मूर्तियां हैं. इसके अलावा जैन धर्म से जुड़े भगवान महावीर की मूर्ति चक्र शिलालेख आदि मिले थे.
पातकुम संग्रहालय में रखीं पत्थर की मूर्तियां उचित देखरेख के अभाव में नष्ट हो रही हैं. शीश महल के बाहर एक बड़े पत्थर पर बना नंदी महाराज, चक्रवार आदि की मूर्तियां खराब हो रही हैं. खुले आसमान के नीचे रखी मूर्तियां झाड़ियों से घिरे गयी हैं.
यहां से मिलीं थीं मूर्तियांचांडिल डैम निर्माण के लिए पड़कीडीह, कोईलागढ़, दुलमी, दयापुर, ईचागढ़, मैसड़ा, सापड़ा, बाबूचामदा, कालीचामदा, बांकसाही, कल्याणपुर आदि जगहों पर खुदाई के समय मूर्तियां मिली थीं. चांडिल के प्राचीन कालीन जायजा शिव मंदिर में कई मूर्तियां रखी गयी हैं.
चांडिल डैम शीश महल हुआ जर्जर, जीर्णोद्धार जरूरीचांडिल डैम निर्माण के समय बना शीश महल जर्जर हो गया है. शीश महल के अंदर का दरवाजा, खिड़की आदि जर्जर हो गये हैं. शीश महल में रह रहे होमगार्ड के जवानों को डरते हुए ड्यूटी करनी पड़ती है. इसका जीर्णोद्धार जरूरी है.