गिरिडीह : हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद, प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ व वृंदावन विश्वविद्यालय मथुरा से जारी शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र में संशय होने के आधार पर डीएसइ विनय कुमार ने जिले के 225 सहायक अध्यापकों के कार्य करने पर एक अगस्त से रोक लगा दी है. इसके साथ ही उन्होंने संबंधित सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश सभी बीइइओ, विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष तथा सचिव को संलग्न सूची के साथ दिया है.
डीएसइ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के माध्यमिक शिक्षा सचिव ने अपने पत्रांक परिषद-9/328, दिनांक 10.07.2023 के माध्यम से यह सूचना दी है कि परिषद विनियमों में उल्लेखित समकक्षता सूची में हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ, गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन मथुरा का नाम शामिल नहीं है. ऐसे में सहायक अध्यापकों को कार्यरत अवधि के मानदेय के भुगतान की अनुमति देते हुए एक अगस्त से उनके कार्य पर राेक लगा दी गयी है. डीएसइ ने बीइइओ व विद्यालय प्रबंधन समिति को एक सप्ताह में प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया है. इसकी प्रतिलिपि प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी तथा लेखापाल सह कंप्यूटर ऑपरेटर जिला कार्यालय को भी देने की बात कही है.
वर्ष 2004 में इजीएस अनुदेशक के रूप में हुआ था चयन
वर्ष 2004 में सहायक अध्यापकों का चयन इजीएस अनुदेशक के रूप में किया गया था. उस समय उन्हें एक हजार रुपये मानदेय मिलता था. बाद में उनका चयन मैट्रिक योग्यता के आधार पर किया गया. वर्ष 2006 में काम करते हुए उन्हें योग्यता बढ़ाने का आदेश दिया गया. इसके बाद सहायक अध्यापकों ने विभिन्न संस्थानों से इंटर का प्रमाण पत्र लिया और मार्च 2023 तक लगातार अपने-अपने स्कूलोंं में काम किया. अब उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र को जाली बता कर ना केवल उनके कार्य पर रोक लगा दी गयी है, बल्कि उनकी सेवा समाप्ति का आदेश भी दे दिया गया है.
सेवा समाप्त करने का अधिकार एसएमसी को नहीं : गीता
इस बीच, झारखंड प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ की राज्य महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष गीता राज का कहना है कि सहायक अध्यापकों का चयन इजीएस अनुदेशकों के रूप में ग्राम शिक्षा समिति ने की थी. बाद में विद्यालय प्रबंधन समिति बनी और इजीएस अनुदेशक पारा शिक्षक कहलाये. फिर सहायक अध्यापक नाम दिया गया. अब हमारे इंटर योग्यता प्रमाण पत्र को फेक बताकर काम से हटाया गया है और सेवा समाप्ति का फरमान भी जारी कर दिया गया है, जो पूरी तरह गलत है. इस फरमान को जारी करने से पूर्व झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक व राजभाषा विभाग से मार्गदर्शन भी नहीं लिया गया. हड़बड़ी में यह कार्रवाई की गयी है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. हम इसके विरोध में झारखंड उच्च न्यायालय की शरण में जायेंगे.
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बीइइओ व विद्यालय प्रबंध समिति को सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति का निर्देश दिया गया है. सहायक अध्यापकों को कार्यरत अवधि के मानदेय का भुगतान का निर्देश दिया गया है.
-विनय कुमार, डीएसइ