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बीरभूम हिंसा मामला : सीबीआई के टारगेट पर बंगाल पुलिस के कई अधिकारी, लटक रही है गिरफ्तारी की तलवार

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के अनुसार, बीरभूम जिले के रामपुरहाट के बोगतुई हिंसा मामले में सीबीआई की गिरफ्त में बीरभूम जिले के कई आला पुलिस अधिकारी आ सकते हैं.

बीरभूम : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट स्थित एक नंबर प्रखंड के बोगतुई गांव में हुई हिंसा की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो जांच के दौरान सीबीआई को कई अहम सुराग मिले हैं और उसके निशाने पर पश्चिम बंगाल पुलिस के कई आला अधिकारी हैं. संभावना जाहिर की जा रही है कि बीरभूम हिंसा मामले की जांच के दौरान सीबीआई पुलिस के इन आला अधिकारियों को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है.

सीबीआई की गिरफ्त में आ सकते हैं कई पुलिस अधिकारी

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के अनुसार, बीरभूम जिले के रामपुरहाट के बोगतुई हिंसा मामले में सीबीआई की गिरफ्त में बीरभूम जिले के कई आला पुलिस अधिकारी आ सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, रविवार को सीबीआई द्वारा बोगतुई गांव में जाकर जांच पड़ताल तथा पीड़ितों से मुलाकात के बाद कई तथ्य पुलिस के खिलाफ सामने आ रहे हैं.

रामपुरहाट के थाना प्रभारी और एसडीपीओ सस्पेंड

बताया जाता है कि बोगतुई हिंसा मामले में पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामपुरहाट के थाना प्रभारी त्रिदिव प्रामाणिक तथा रामपुरहाट के एसडीपीओ सायन अहमद को सस्पेंड कर दिया था. इस मामले में खुफिया विभाग के अधिकारी समेत 12 सिविक वॉलिंटियर को भी सस्पेंड कर दिया गया है.

सीबीआई के निशाने पर बीरभूम के एसपी

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले ही सीबीआई को निर्देश दे दिया है कि वह किसी से भी पूछताछ और गिरफ्तार कर सकता है. ऐसे में आज पीड़ितों से बातचीत के बाद सीबीआई को कई तथ्य पुलिस के कई आला अधिकारियों के खिलाफ भी मिल रहे है. ऐसे में, बीरभूम जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नागेंद्रनाथ त्रिपाठी और कई अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब सीबीआई की जांच के घेरे में हैं.

पुलिस ने नहीं निभाई जिम्मेदारी

जांच एजेंसी सीबीआई के अधिकारियों को लगता है कि इतनी बड़े पैमान पर की गई हत्या में और इस हत्या के मद्देनजर पुलिस वह सब कुछ करने में विफल रही है, जो उसे कानून के अनुसार करना चाहिए था. पुलिस के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया है. पुलिस के अधिकारियों ने किस कारण से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, सीबीआई इसकी भी जांच कर रही है. लेकिन, यह साफ हो गया है कि इस हिंसा की रोकथाम में पुलिस के आला अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभाने में कोताही बरती है.

थाना प्रभारी और एसडीपीओ से हो सकती है पूछताछ

सूत्रों के अनुसार रामपुरहाट थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक त्रिदीप प्रमाणिक और रामपुरहाट के तत्कालीन एसडीपीओ सायन अहमद से अलग -अलग पूछताछ की जा सकती है, जो वर्तमान में हटाये गये हैं और अनिवार्य प्रतीक्षा में हैं. जरूरत पड़ने पर सीबीआई के खुफिया अधिकारी (जासूस) बीरभूम जिले के पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और कई डीएसपी से भी पूछताछ कर सकते हैं.

हिंसा के बाद मौका-ए-वारदात पर तैनात नहीं किए पुलिसकर्मी

बताते चलें कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट के बोगतुई गांव में पिछले सोमवार की रात बरशाल ग्राम पंचायत के तृणमूल उप प्रधान भादू शेख की हत्या के तुरंत बाद पुलिस मौके पर पहुंची. शव बरामद होने के बाद रामपुरहाट थाना पुलिस मौके पर तैनात किए बिना कैसे मौके से निकल गई. तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक त्रिदीप प्रमाणिक और तत्कालीन एसडीपीओ रामपुरहाट सायन अहमद से यह सवाल सीबीआई जांचकर्ताओं पूछ सकती है. हालांकि भादू शेख की हत्या का बदला लेने के लिए बीरभूम में किसी  बड़े प्रभावशाली के इशारे पर ही क्या मौके पर पुलिस तैनात नहीं की गई? यह एक बड़ा सवाल उठ रहा है. 

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पुलिस अधिकारियों पर उठ रहे कई सवाल

सीबीआई इस बात पर भी विचार कर रही है कि क्या दोनों पुलिस अधिकारी आगजनी के हमले से पहले जान-बूझकर इलाके से निकले थे क्या ? इस मामले में सीबीआई का सवाल हो सकता है कि भादू शेख का शव बरामद होने के बाद उसकी हत्या के हत्यारों को पकड़ने के लिए मौके पर पुलिस क्यों नहीं तैनात की गई ? दोनों पुलिस अधिकारी पूरे पुलिस बल के साथ इलाके से कैसे रवाना हो गए ? सीबीआई जांचकर्ताओं इस सवाल को लेकर जांच कर सकते है. आगजनी की घटना इलाके में पुलिस की अनुपस्थिति के कारण ही हुई थी, सीबीआई इस पहलू की भी जांच कर सकती है. ऐसे अनगिनत सवाल सीबीआई के जेहन में हैं, जिसकी जांच के दौरान वह पुलिस अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है.

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