Shab-e-Barat 2022: आज मनाया जाएगा शब ए बारात, इबादत में गुजरेगी पूरी रात

Shab-e-Barat 2022: आज शब ए बारात का पर्व मनाया जायेगा. शब और रात, शब का अर्थ होता है रात और बारात का मतलब बरी होना, इस पर्व की रात को मुसलमानों द्वारा काफी महिमावान माना जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 18, 2022 6:30 AM

रात को जागकर इबादत करने का पर्व शब ए बारात आज यानी शुक्रवार 18 मार्च को मनाया जायेगा. शब-ए-बारात का पर्व मुस्लिमों द्वारा मनाये जाने वाले प्रमुख पर्वों में से एक है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार यह पर्व शाबान महीनें की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरु होती है और शाबान माह के 15वीं तारीख की रात तक मनायी जाती है. शब-ए-बारात दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है. शब और रात, शब का अर्थ होता है रात और बारात का मतलब बरी होना, इस पर्व की रात को मुसलमानों द्वारा काफी महिमावान माना जाता है.

क्या-क्या करें

इस मुबारक रात में गुस्ल, अच्छे कपड़े पहनना, इबादत के सुरमा लगाना, मिसवाक करना, इत्र लगाना, कब्रो की जियारत करना, फातिहा दिलाना, खैरात करना, मुर्दों की मगफिरत की दुआ करना, बीमार की अयादत करना, तहज्जुद की नमाज पढ़ना, नफिल नमाजें ज्यादा पढ़ना, दुरूद व सलाम पढ़ना. सूर यासीन शरीफ की तिलावत करना, इबादत में सुस्ती न करना शामिल है.

शब-ए-बरात की नमाज

शब-ए-बरात की नवाफिल नमाज- दो रिकअत नफिल तहियातुल बजू पढ़िये. हर रिकअत में अलहमद के बाद एक बार आयतलकुर्सी, तीन बार कुलहोवल्ला. इस नमाज से हर कतरा पानी के बदले सात सौ रेकअत नफिल का सवाब मिलेगा.

12 रिकअत नमाज- हर रिकअत में अलममदोलिल्ला के बाद दस बार कुल्होअवल्ला, बारह रिकअत पढ़ने के बाद दस बार कलमा तौहिद, दस बार कलमा तमजीद, दस बार दुरूद शरीफ पढ़ें.

14 रिकअत नमाज- दो-दो रिकअत करके हर रिकअत में अलहमद के बाद जो सूरह चाहे पढ़े. जो भी दुआ मांगे कबूल होगी.

शब-ए-बारात इसलिए है खास

इस्लाम में शब-ए-बारात के पर्व को काफी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. मुस्लिम कैलैंडर के अनुसार शाबान माह की 14वीं तारीख के सूर्यास्त के बाद विश्व भर के विभिन्न देशों में इस त्योहार को काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. मुस्लिम धर्म में इस रात को बहुत ही महिमावान और महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन लोग मस्जिदों के साथ कब्रिस्तानों में भी इबादत के लिये जाते है.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन पिछले साल के किए गये कर्मों का लेखा-जोखा तैयार होने के साथ ही आने वाले साल की तकदीर भी तय होती है. यहीं कारण है कि इस दिन को इस्लामिक समुदाय में इतना महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ है.

इस दिन लोग अपना समय अल्लाह की प्रर्थना में बिताते है. इसके साथ ही इस दिन मस्जिदों में नमाज अदा करने वाले लोगों की भारी भीड़ भी देखने को मिलती है. इस्लामिक मान्याताओं के अनुसार शब-ए-बारात का त्योहार इबादत और तिलावत का पर्व है.

इस दिन अल्लाह अपने बंदों के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा जोखा करता है और इसके साथ ही कई सारे लोगों को नरक से आजाद भी कर देता है. यहीं कारण है कि इस दिन को मुस्लिम समुदाय के लोगो द्वारा इतना धूम-धाम के साथ मनाया जाता है.

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