Shab-e-Barat 2023: आज है शब ए बारात, क्या है इसका खास महत्व, जानिए सबकुछ
Shab-e-Barat 2023: इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2023 Date) दीन-ए-इस्लाम के आठवें महीने शाबान में मनाई जाती है. यह शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है. आज 7 मार्च को शब ए बारात मनाया जाएगा.
Shab-e-Barat 2023: शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह इबादत की रात होती है.इस साल देश भर में शब-ए-बारात का त्योहार आज यानी 7 मार्च को मनाया जाएगा. इस मुबारक रात में अल्लाह लोगों को जहन्नुम से आजाद फरमाता है. कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं. छह आदमियों की इस रात भी बख्शीश माफी नहीं होगी. इसमें शराबी, मां-बाप को तकलीफ पहुंचानेवाला, जादूगर, चुगलखोर व सूदखोर की माफी नहीं होती है.
कब मनाया जाता है शब-ए-बारात
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2023 Date) दीन-ए-इस्लाम के आठवें महीने शाबान में मनाई जाती है. यह शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है. इस्लाम धर्म में माह-ए-शाबान बहुत ही मुबारक महीना होता है. इसके 15 दिन बाद पवित्र रमजान का महीना शुरू हो जाता है. इसलिए रमजान की तैयारी शब-ए-बारात के बाद से ही होने लगती है.
शब-ए-बरात और कब्रों की जियारत
कब्रों की जियारत करें. आखिरत की याद दिलाती है. मरनेवालों की फेहरिस्त बनाने का महीना है. रसूलल्लाह ने फरमाया- अल्लाह इस साल मरनेवाली हर जान को लिख देता है और मुझे यह बेहद पसंद है कि मेरी वक्ते रूख्सत आये और मैं रोजेदार हूं.
क्या-क्या करें
इस मुबारक रात में गुस्ल, अच्छे कपड़े पहनना, इबादत के सुरमा लगाना, मिसवाक करना, इत्र लगाना, कब्रो की जियारत करना, फातिहा दिलाना, खैरात करना, मुर्दों की मगफिरत की दुआ करना, बीमार की अयादत करना, तहज्जुद की नमाज पढ़ना, नफिल नमाजें ज्यादा पढ़ना, दुरूद व सलाम पढ़ना. सूर यासीन शरीफ की तिलावत करना, इबादत में सुस्ती न करना शामिल है.
शब-ए-बरात की नवाफिल नमाज- दो रिकअत नफिल तहियातुल बजू पढ़िये. हर रिकअत में अलहमद के बाद एक बार आयतलकुर्सी, तीन बार कुलहोवल्ला. इस नमाज से हर कतरा पानी के बदले सात सौ रेकअत नफिल का सवाब मिलेगा.
12 रिकअत नमाज- हर रिकअत में अलममदोलिल्ला के बाद दस बार कुल्होअवल्ला, बारह रिकअत पढ़ने के बाद दस बार कलमा तौहिद, दस बार कलमा तमजीद, दस बार दुरूद शरीफ पढ़ें.
14 रिकअत नमाज- दो-दो रिकअत करके हर रिकअत में अलहमद के बाद जो सूरह चाहे पढ़े. जो भी दुआ मांगे कबूल होगी