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Pathaan: इस वजह से अपनी बालकनी में खड़े हो जाते हैं शाहरुख खान, बोले-सिनेमा का मकसद भावनाओं को…

शाहरुख खान ने कहा, पठान की कामयाबी सभी की है, इसलिए मैं सभी का धन्यवाद कहना चाहूंगा सबसे अहम बात इस महफिल के जरिए मैं उनलोगों को भी धन्यवाद कहना चाहूंगा, जो आज यहां नहीं हैं, लेकिन उन्होने फिल्म को बहुत प्यार दिया.

यशराज बैनर की फिल्म पठान इन दिनों कामयाबी की नित नयी कहानी लिख रही है. कल इस फिल्म के सक्सेस इवेंट में शाहरुख़ खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम और निर्देशक सिद्धार्थ आनंद मीडिया से मुख़ातिब हुए. उन्होंने इस दौरान कई बातें मीडिया से शेयर की. शाहरुख खान बताते हैं कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान सिर्फ कलाकारों ने ही नहीं बल्कि यूनिट के हर बन्दे ने ये दुआ की है कि यह फिल्म शाहरुख़ भाई के लिए अच्छी होनी चाहिए. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाहरुख़ खान ने और भी कई दिलचस्प बातें सांझा की. बातचीत के प्रमुख अंश

सभी को धन्यवाद देना चाहूंगा

पठान की क़ामयाबी सभी की है, इसलिए मैं सभी का धन्यवाद कहना चाहूंगा सबसे अहम बात इस महफिल के जरिए मैं उनलोगों को भी धन्यवाद कहना चाहूंगा, जो आज यहां नहीं हैं, लेकिन उन्होने फिल्म को बहुत प्यार दिया. मैं बताना चाहूंगा कि फिल्म के हम तीनों कलाकार किसी चॉइस, वजह या मकसद की वजह से मीडिया से नहीं मिले, ऐसा नहीं है. इस फिल्म की शूटिंग कोविड के दौरान हुई थी.जब शूटिंग खत्म हुई तो प्रोडक्शन टीम के साथ हम भी उसी में लगे हुए थे जिससे किसी से मुख़ातिब नहीं हो सके. मैं मानता हूं कि मीडिया और इंडस्ट्री एक ही टीम में हैं. मीडिया के हर माध्यम ने इस फिल्म पर अपना प्यार बरसाया है. फैन्स के बाद हम मीडिया के शुक्रगुज़ार हैं. हिंदी सिनेमा को फिर से जिन्दा करने के लिए मैं पूरे इंडस्ट्री की तरफ से शुक्रगुज़ार हूं.

आदित्य चोपडा ने 27 साल पुराना वादा है निभाया

फिल्म डर के सेट की बात है. उस फिल्म की शूटिंग के दौरान रात में मैं, जूही, आदित्य और पैम आंटी स्क्रैबल खेला करते थे. आदित्य का एक दिन जन्मदिन था. उसने कहा कि मैं एक एक्शन फिल्म बनाना चाहता हूं. तुम करोगे क्या. मैंने हां कहा. डर हिट हो गयी. डेढ़ दो साल बीत गए. मैं एक फिल्म की शूटिंग के लिए महबूब स्टूडियो में था आदित्य का फ़ोन आया. मैं आ जाऊं क्या कहानी सुनाने. उस वक़्त मुझे कोई एक्शन फिल्म देता नहीं था और एक्शन फिल्म करने की मेरी दिली ख्वाहिश थी. मेरा ड्रीम था कि वाइट बनियान हो, मसल्स हो, थोड़ा सा ब्लड हो, हाथ में एक लड़की हो और एक बंदूक हो. मुझे ऐसा पोस्टर चाहिए था. ऐसा किरदार जो बात करने से पहले गोली मारे. क्लिंट ईस्ट वुड की एक फिल्म था आई एम नोट अलोन, स्मिथ और वैसेन फिल्म में उनकी गन का नाम होता है. वैसा कुछ किरदार चाहता था,हालांकि निजी जिंदगी में मुझे बन्दुकों के बारे में कुछ नहीं मालूम है .वायलेंस.. वायलेंस आइ डोंट लाइक वायलेंस. खैर जब आदित्य आया फिल्म नरेट करने महबूब में, तो मैं बहुत ही ज्यादा उत्साहित था. उसने मुझे फिल्म सुनायी. तुझे देखा तो ये जाना सनम. मुझे लगा इंट्रोडक्शन या फिर सेकेंड हाफ में एक्शन आएगा. एन्ड तक फिल्म में एक्शन नहीं था.बस बाउजी ठीक कहते हैं. बाउजी ठीक कहते हैं. अरे बाउजी जब ठीक कहते हैं, तो मैं फिल्म में एक्शन कैसे करूंगा. मैंने उदास होकर यशजी को कॉल किया कि ये तो मेरे साथ हथियार, औजार, हथोड़ा टाइप फिल्म बनाने वाला था

वे बोले नेक्स्ट कर लेना. नेक्स्ट दिल तो पागल है बनी फिर और फ़िल्में बनती चली गयी. एक्शन फिल्म उसने बनायीं ही नहीं. तीन- चार साल पहले भी आदित्य ने एक एक्शन फिल्म के लिए बात की थी. बॉडी भी बनाने को कहा, लेकिन वह फिल्म भी नहीं बनी. पठान फिल्म का जब नरेशन देने आया, उसके बाद मैंने पूजा को बोला कि ये फिल्म भी नहीं बनेगी. ये मेरे साथ एक्शन फिल्म नहीं बनाएगा, लेकिन 27साल बाद ही सही आदित्य ने अपना वादा निभाया. ये बात भी साबित हो गयी कि भाई मैं एक्शन कर सकता हूं.

वो चार साल इन चार दिनों ने भुला दिया

मेरी चार साल बाद कोई फिल्म रिलीज हुई है. चार साल तो घर पर नहीं था, क्योंकि डेढ़ दो साल से, तो मैं पठान फिल्म की शूटिंग ही कर रहा था. इन सालों में कुछ अच्छा हुआ. कुछ बुरा हुआ. मैं काम नहीं कर रहा था. अपने बच्चों के साथ मैंने समय बिताया. उन्हें बड़ा होते देखा. जो मैंने एक अरसे से नहीं देखा था. (हंसते हुए ) मेरी फ़िल्में नहीं चल रही थी, तो मैं करियर के दूसरे विकल्प ढूंढने में लग गया था. खाना बनाने सीख गया था. रेड चिलीज फ़ूड इटरी रेस्टोरेंट शुरू करने वाला था. इटालियन खाना बनाना सीखा. मैं पठान सेट पर हर दिन कुछ ना कुछ बनाता रहता था. मैंने सबको पिज़्ज़ा बनाकर बहुत खिलाया है.वैसे मेरी फिल्म आने में देर हो रही है, इसलिए मुझे कभी फिल्म नहीं करनी थी , बल्कि मैं लोगों को खुशी बांटना चाहता हूं, जब मैं इसमें फेल होता हूं, तो सबसे ज्यादा दुखी होता हूं. मैं बहुत खुश हूं कि मैं आपलोगों से खुशी बांट सका. फिल्मों के असफल होने पर सबसे ज्यादा मैं ही रोता भी हूं. जो मुझे जानते हैं.उन्हें पता है कि मेरे घर में एक ऐसा बाथरूम हैं, जहां मैं रोने के लिए जाता हूं. मेरा परिवार भी मेरी असफलता से परेशान होता है. मैं उन्हें अपने काम से जितना भी अलहायदा रखना चाहूं. वे जुड़ ही जाते हैं. मैं आदित्य चोपडा और सिद्धार्थ आनंद का शुक्रगुज़ार हूं कि उन्होने मुझे ये फिल्म करने दी. मैं वो चार साल इन चार दिनों में भूल गया.

जॉन मेरे लिए एक्शन दृश्यों की खूब रिहर्सल करता था

जॉन इस फिल्म का बैकबोन है.जॉन को मैं काफी सालों से जानता हूं, लेकिन काम करने मौका अभी मिला है.हमने एक छोटी सी विज्ञापन फ़िल्म की थी. जॉन के साथ एक्टिंग करनी है, तो बॉडी शॉडी तो बनानी पड़ेंगी.जॉन ने मेरी उसमें मदद भी की. हमारे कई एक्शन दृश्य हैं.मैं कुछ एक्शन जानता था, लेकिन जॉन वाले एक्शन नहीं. जॉन हमेशा एक्शन दृश्यों के पहले खूब सारा रिहर्सल करते थे. मुझे लगा कि ये और सीखना चाहता है. तीन के बाद मुझे मालूम पड़ा कि वो मेरे लिए ऐसा कर रहे हैं ताकि मैं शूटिंग के वक़्त चोटिल ना होऊं.

दुख हो या खुशी अपनी बालकनी में खड़ा हो जाता हूं

मैं उन खास लोगों में से हूं, जिनके फैन्स उसे हमेशा बहुत प्यार देते हैं.जब फिल्म हिट नहीं भी होती है, तो भी इतना ही प्यार मिलता है. मुझे मेरे घर के बड़ों ने कहा था कि जब भी जिंदगी में मुश्किल वक़्त से गुज़रो. उनके पास मत जाओ, जो तुम्हारे साथ काम करते हैं. उनके पास भी मत जाओ, जो तुम्हें बता सके कि क्या करो , तो अच्छा होगा, बल्कि उनके पास जाओ जो तुमसे प्रेम करते हैं. मैं लकी हूं कि करोड़ों लोग मुझसे प्यार करते हैं. यही वजह है कि दुखी होता हूं या खुश तो अपने घर की बालकनी में उनके प्यार को महसूस करने के लिए खड़ा हो जाता हूं. ये बात कह सकता हूं कि गॉड ने इतना सराहा है कि हमेशा के लिए मुझे बालकनी की टिकट दे दी है.

आई एम द बेस्ट इसलिए खुद को हर दिन कहता हूं

हिट हो या फ्लॉप मैं खुद को बेस्ट मानता था, हूं और रहूंगा.मैं एरोगेंट कईयों को इस वजह से लगता हूं क्योंकि आईं एम द बेस्ट मैं सालों से बोलता आ रहा हूं. कईयों को ये बदतमीज़ी लग सकती है, लेकिन ये बोलने के पीछे मेरी खास वजह है. ऐसा नहीं है कि मैं परेशान नहीं होता हूं या मेरा आत्मविश्वास डगमगाता नहीं है. दिन में ऐसा कई बार होता है. ऐसे में मेरा मोटिवेशन मंत्र आई एम द बेस्ट है. हम ये बोलेंगे, तभी हम गुड तक तो पहुंचेंगे. चांद के लिए छलांग मारोगे,तो ही बीसवी मंजिल तक पहुंच पाओगे.

सिनेमा का मकसद खुशियां और भाईचारा बढ़ाना है

जाते -जाते मैं एक और महत्वपूर्ण बात कहना चाहूंगा. मेरी उम्र भी है कि मैं युवा लोगों के सामने ऐसी बातें रख सकता हूं,जो अच्छाई में उनका विश्वास बढ़ाए. सिनेमा सिर्फ इसलिए ही होता है . जो भी लोग फिल्म बनाते हैं ईस्ट, वेस्ट, साउथ, नार्थ, सेंट्रल में. चाहे वह किसी भी भाषा में हो. सबका मकसद खुशियां और भाईचारा को बढ़ाना ही होता है. भले ही हम नकारात्मक किरदार कर रहे होते हैं, लेकिन हमारा मकसद उससे भी आपको खुश करना ही रहता है. हम फिल्म में किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहते हैं.फन और एंटरटेनमेंट को इनसे दूर रखना चाहिए. प्यार बांटे. मैं बैकस्टेज भी इसी बात को कह रहा था. सब मेरी बात से इत्तफाक रखेंगे.दीपिका अमर है,मैं अकबर हूं. जॉन एन्थनी है इसी से सिनेमा बनता है. कोई भेदभाव नहीं है. हम आपसे प्यार करते हैं, इसलिए हम फिल्म बनाते हैं. हम प्यार के भूखे हैं. फिल्म कितने भी करोड़ कमा ले. आप जब किसी फिल्म को देखकर खुश होते हैं. उससे बड़ा कोई इनाम नहीं है. उससे बड़ा परिणाम नाम है.

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