इस दिन शनि देव की पूजा अर्चना करने से आपको इनकी कृपा प्राप्त होगी. अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है या फिर आपकी कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प दोष एवं शनि प्रकोप होता है, उन जातकों पर प्रेत बाधा, जादू-टोना, डिस्क-स्लिप, नसों के रोग, बच्चों में सूखा रोग, गृह क्लेश, असाध्य बीमारी, विवाह का न होना, संतान का शराबी बनना एवं कभी-कभी अकाल दुर्घटना का कारण भी बन जाता है.
मान्यता है कि शनैश्चरी अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें और शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें. इस दिन शनि देव का सरसों के तेल और काले तिल से अभिषेक करें. शनि मंदिर जाएं और उनके दर्शन कर उनकी कृपा प्राप्त करें. इसके बाद शनि दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें.
इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और काले रंग के कपड़े धारण करें. इसके बाद भगवान शनि की अराधना करें. भगवान शनि के नाम पर सरसों के तेल क दीपक जलाएं और भगवान गणेश के पूजन से पूजा प्रारंभ करें. सबसे पहले फूल चढ़ाएं. इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भोग में लड्डू और फल चढ़ाए। इसके बाद जल अर्पित करें. इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करते हुए आरती करें. पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें. पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें.
शनिचरी अमावस्या 4 दिसंबर को मनाई जाएगी. इस दिन संयोग से सूर्य ग्रहण भी है इसलिए इस अमावस्या का महत्व और बढ़ गया है. गुरमीत बेदी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार शनि, सूर्य के पुत्र हैं. लेकिन दोनों एक-दूसरे के विरोधी ग्रह भी हैं.
शनिचरी अमावस्या पर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए. ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं. शनिचरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है.
शनि अमावस्या के दिन कटोरे में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और उस तेल को कटोरे सहित शनि मंदिर में दान कर दें.
कहते हैं कि गरीबों की सेवा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. इस दिन गरीबों को काला तिल, वस्त्र, उड़द की दाल, जूते-चप्पल, कंबल आदि का भी दान कर सकते हैं.
मान्यता है कि शनैश्चरी अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें और शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें. इस दिन शनि देव का सरसों के तेल और काले तिल से अभिषेक करें. शनि मंदिर जाएं और उनके दर्शन कर उनकी कृपा प्राप्त करें. इसके बाद शनि दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें.
शनि अमावस्या के दिन काले कुत्ते को सरसों तेल से बनी रोटी खिलाने का विशेष फल मिलता है. इस दिन कौवों को भी खाना खिलाने की परंपरा है. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं.
शनैश्चरी अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करता है तो इसके चमत्कारी लाभ मिलते हैं. ऐसा करने से आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियां खत्म होती हैं.
शनिचरी अमावस्या पर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए. ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं. शनिचरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या को देवी लक्ष्मी या कमला के पूजन का भी विधान है. मार्गशीर्ष अमावस्या को दस महाविद्याओं में से एक देवी कमला की जयंती भी मनायी जाती है.
इस दिन शनि देव की पूजा अर्चना करने से आपको इनकी कृपा प्राप्त होगी. अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है या फिर आपकी कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प दोष एवं शनि प्रकोप होता है, उन जातकों पर प्रेत बाधा, जादू-टोना, डिस्क-स्लिप, नसों के रोग, बच्चों में सूखा रोग, गृह क्लेश, असाध्य बीमारी, विवाह का न होना, संतान का शराबी बनना एवं कभी-कभी अकाल दुर्घटना का कारण भी बन जाता है.
ये पांच वस्तुएं अनाज, काला तिल, छाता, उड़द की दाल, सरसों का तेल होती हैं. इन पांचों वस्तुओं के दान का महत्व होता है. इनके दान से परिवार की समृद्धि में वृद्धि होती है व शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. पंच दान से विपत्ति से रक्षा और पितरों की मुक्ति होती है.
शनिचरी अमावस्या 4 दिसंबर को मनाई जाएगी. इस दिन संयोग से सूर्य ग्रहण भी है इसलिए इस अमावस्या का महत्व और बढ़ गया है. गुरमीत बेदी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार शनि, सूर्य के पुत्र हैं. लेकिन दोनों एक-दूसरे के विरोधी ग्रह भी हैं.
शनि अमावस्या के दिन कटोरे में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और उस तेल को कटोरे सहित शनि मंदिर में दान कर दें.
अमावस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व भी कहा गया है. यह वह रात होती है जब चंद्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है. दिन के अनुसार पड़ने वाली शनि अमावस्या के अलग-अलग नाम होते हैं. जैसे सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं.
जिन जातकों पर शनि की साढ़े-साती या ढैया चल रही है, वे शनि अमावस्या पर अवश्य दान करें। सूर्य ग्रहण के समय पंच दान करने से उनके जीवन में शनि का प्रभाव समाप्त हो जाता है और शनि उन पर प्रसन्न होते हैं.पंच दान से प्रसन्न होकर सूर्य देव सर्व बाधाओं से मुक्ति व विपत्तियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं.
ओम शनैश्चराय विद्महे सूर्य पुत्राय धीमहि।। तन्नो मंद: प्रचोदयात।।
इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और काले रंग के कपड़े धारण करें. इसके बाद भगवान शनि की अराधना करें. भगवान शनि के नाम पर सरसों के तेल क दीपक जलाएं और भगवान गणेश के पूजन से पूजा प्रारंभ करें. सबसे पहले फूल चढ़ाएं. इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भोग में लड्डू और फल चढ़ाए। इसके बाद जल अर्पित करें. इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करते हुए आरती करें. पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें. पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें.
शनैश्चरी अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करता है तो इसके चमत्कारी लाभ मिलते हैं. ऐसा करने से आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियां खत्म होती हैं.
शनि अमावस्या के दिन गरीबों की सेवा करना, उन्हें जरूरत की सामग्री दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. इस दिन गरीबों को उड़द की दाल, काला तिल, वस्त्र, कंबल, जूते-चप्पल आदि का दान करना शुभ माना गया है.
शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पण करना अत्यंत शुभ होता है. इससे जल अर्पण करने वाले व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना : शनैश्चरी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृ खुश होते हैं. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृों की कृपा मिलती है. अपने पाप को घटाने और पुण्यों को बढ़ाने के लिए पीपल वृक्ष के साथ-साथ उसकी परिक्रमा करना भी शुभ अत्यंत शुभ माना गया है.
मार्गशीर्ष या अगहन माह की अमावस्या तिथि 4 दिसंबर, दिन शनिवार को है. शनि अमावस्या तिथि 03 दिसंबर को शाम 04 बजकर 56 मिनट से शुरू हो कर 04 दिसंबर को दोपहर में 01 बजकर 13 मिनट तक रहेगी. चूंकि इस दिन शनिवार है इसलिए शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है. इसी दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगेगा.
शनि के दोषों से बचने में हनुमान जी की आराधना करना बहुत लाभ देता है. साढ़े साती के दौरान रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें. खासतौर पर शनिवार और शनि अमावस्या के दिन ऐसा करना बहुत लाभ देगा.
शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना, सरसों के तेल का दीपक जलाना शनि दोषों से निजात पाने का अचूक उपाय है. शनि अमावस्या के दिन पीपल का पौधा लगाना बहुत ही लाभकारी माना गया है.
शनि अमावस्या के दिन कुत्ते को रोटी खिलाएं. तिल का दान दें. इससे शनि की बुरी नजर से राहत मिलेगी.
शनि अमावस्या के दिन कटोरे में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और उस तेल को कटोरे सहित शनि मंदिर में दान कर दें.
आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 10:59 बजे शुरू होगा. पूर्ण सूर्य ग्रहण दोपहर 12:30 बजे से शुरू होगा और अधिकतम ग्रहण दोपहर 01:03 बजे लगेगा. पूर्ण ग्रहण दोपहर 01:33 बजे समाप्त होगा और अंत में आंशिक सूर्य ग्रहण दोपहर 3:07 बजे समाप्त होगा.
सूर्यग्रहण और शनि अमावस्या के दौरान धन लाभ के लिए के लिए अनाज, शत्रुओं के अंत के लिए काले तिल, विपत्ति से सुरक्षा के लिए छाता और शनि के प्रभाव से मुक्ति के लिए सरसों का तेल दान करें.
ओम शनैश्चराय विद्महे सूर्य पुत्राय धीमहि।। तन्नो मंद: प्रचोदयात।।
अमावस्या तिथी प्रारंभ: 3 दिसंबर शाम 4 बजकर 56 मिनट से शुरू
अमावस्या तिथि समाप्त: दोपहर 1 बजकर 12 मिनट तक
शनिदेव को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है. मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर दण्ड और फल प्रदान करते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव का जन्म अमावस्या तिथि पर शनिवार के दिन ही हुआ था. उनके नाम के कारण ही इस दिन को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है. सूर्य देव शनिदेव के पिता हैं लेकिन उनकी उपेक्षा के कारण शनिदेव उनसे नारज रहते हैं. ऐसे में शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण का संयोग अति विशिष्ट माना जाता है. इस दिन शनि पूजा करने से कुण्डली में व्याप्त शनिदोष समाप्त होता है.शनि अमावस्या का महत्व