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Shani Amavasya 2022: आज है शनिश्चरी अमावस्या, इस दिन जरूर करें ये उपाय

Shani Amavasya 2022, Vaishakh Amavasya Date and Time: जो भी अमावस्‍या शनिवार के दिन पड़ती हैं. यदि आप शनि को प्रसन्न करना चाहते हैं और अपने पितरों को खुश करना चाहते हैं तो कुछ उपायों को करके शनि और पितरों दोनों को प्रसन्न किया जा सकता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आज शनिचरी अमावस्या है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2022 8:23 AM

Vaishakh Amavasya 2022 Date and Time: शनिश्चरी अमावस्या आज यानी 30 अप्रैल को है और इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. यह वैशाख महीने की अमावस्या है. जो भी अमावस्‍या शनिवार के दिन पड़ती हैं. यदि आप शनि को प्रसन्न करना चाहते हैं और अपने पितरों को खुश करना चाहते हैं तो कुछ उपायों को करके शनि और पितरों दोनों को प्रसन्न किया जा सकता है. इसके अलावा मान सम्मान, सुख-समृद्धि, धन-वैभव आदि को भी प्राप्त किया जा सकता है.

शनि अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त

वैशाख अमावस्या 30 अप्रैल 2022, शनिवार को है. वैशाख अमावस्या 30 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 59 मिनट पर शुरू होकर 1 मई को देर रात 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए 30 अप्रैल को शाम को शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाएगी.

शनिश्चरी अमावस्या के दिन करें ये उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिचरी अमावस्या के दिन स्नान और दान करने का बेहद फल प्राप्त हो सकता है.

वहीं पितरों के निर्मित श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं.

पितृ दोष से मुक्ति के लिए आप शनिचरी अमावस्या के दिन अक्षत और दूध की खीर बनाएं. अब गोबर का उपला जलाएं. उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाएं. इसे सभी मनोकामना पूर्ण होती है.

शनि देते हैं बेशुमार सफलता-पैसा

यदि शनि की कृपा पाना चाहते हैं या शनि की महादशा के कारण मिल रहे बुरे फल से राहत पाना चाहते हैं तो शनिश्चरी अमावस्या के दिन कुछ उपाय कर लें. ये उपाय बहुत लाभकारी हैं.

– शनिश्चरी अमावस्या के दिन माही नदी में स्नान करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष की पीड़ा से राहत मिलती है. इससे सारे दुख-दर्द, बाधाएं समाप्‍त होती हैं.

शनिचरी अमावस्या पर करें दान

शनिचरी अमावस्या पर शनिदेव से जुड़ी कुछ चीजों का दान कर सकते हैं. इसमें सरसों का तेल, काले तिल, काला छाता, ताला, काले कंबल, अंगूठी व अन्य चीज शामिल है.

शनिदेव को प्रसन्न करने वाले मंत्र

ऊँ शं शनैश्चाराय नमः

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः

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