Shani Dev Ki Aarti: शनिवार को पूजा के दौरान जरूर करें शनि देव की आरती, शनि दोष से मिलेगी राहत

Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए प्रत्येक शनिवार के दिन पूजा के साथ ही शनि देव की आरती भी करनी चाहिए. शनि देव की आरती करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और शनि दोष से राहत मिलती है.

By Radheshyam Kushwaha | September 9, 2023 7:53 AM

Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi: शनिदेव न्याय का देवता है, अगर किसी पर शनि देव नाराज हो गए तो निश्चित तौर पर उस व्यक्ति के साथ कुछ भी अच्छा नहीं होता है. इसलिए हर कोई शनिदेव के प्रकोप से बचने की कोशिश करता है. शनि देव की पूजा-अर्चना करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यदि शनि देव किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उनके शुभ प्रभावों से व्यक्ति को जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है. ऐसे में शनि देव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए प्रत्येक शनिवार के दिन पूजा के साथ ही शनि देव की आरती भी करनी चाहिए. शनि देव की आरती करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. यहां शनि देव की आरती लिरिक्स दी जा रही है, जिसकी मदद से आप पूजा के दौरान आरती पढ़ सकते हैं…

शनि देव की आरती

ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय जय शनि महाराज।

कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज ॥ॐ॥

सूरज के तुम बालक होकर, जग में बड़े बलवान ॥स्वामी॥

सब देवताओं में तुम्हारा, प्रथम मान है आज ॥ॐ॥1॥

विक्रमराज को हुआ घमण्ड फिर, अपने श्रेष्ठन का। स्वामी

चकनाचूर किया बुद्धि को, हिला दिया सरताज ॥ॐ॥2॥

प्रभु राम और पांडवजी को, भेज दिया बनवास। स्वामी

कृपा होय जब तुम्हारी स्वामी, बचाई उनकी लॉज ॥ॐ॥3॥

शुर-संत राजा हरीशचंद्र का, बेच दिया परिवार। स्वामी

पात्र हुए जब सत परीक्षा में, देकर धन और राज ॥ॐ॥4॥

गुरुनाथ को शिक्षा फांसी की, मन के गरबन को। स्वामी

होश में लाया सवा कलाक में, फेरत निगाह राज ॥ॐ॥5॥

माखन चोर वो कृष्ण कन्हाइ, गैयन के रखवार। स्वामी

कलंक माथे का धोया उनका, खड़े रूप विराज ॥ॐ॥6॥

देखी लीला प्रभु आया चक्कर, तन को अब न सतावे। स्वामी

माया बंधन से कर दो हमें, भव सागर ज्ञानी राज ॥ॐ॥7॥

मैं हूँ दीन अनाथ अज्ञानी, भूल भई हमसे। स्वामी

क्षमा शांति दो नारायण को, प्रणाम लो महाराज ॥ॐ॥8॥

ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय-जय शनि महाराज।

कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज॥ॐ॥

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