Shani Jayanti 2022: ज्योतिष के अनुसार शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और किसी व्यक्ति को सीधे और तुरंत प्रभावित करने की क्षमता रखता है. शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार दंड दे सकते हैं और न्याय कर सकते हैं. किसी को अमीर से गरीब बना सकते हैं और इसके विपरीत गरीब से अमीर भी बना सकते हैं. यही मुख्य कारण है कि शनि की साढ़े साती से सभी डरते हैं. जानें क्या है शनि साढ़े साती और शनि की ढैय्या. इससे बचने के उपाय क्या हैं?
ढाई साल में शनि अपनी राशि बदल लेता है और इसे ज्योतिष में एक बड़ी घटना माना जाता है. यह व्यक्ति के जीवन में बड़े बदलाव की संभावना लाता है. शनि में अचानक हुए इन परिवर्तनों का परिणाम व्यक्ति के जीवन में साढ़े साती और ढैया होता है.
जब शनि देव एक राशि से जातक की जन्म राशि से पहले, जन्म राशि में और व्यक्ति की जन्म राशि के पीछे की राशि में भ्रमण करते हैं, तो इसे शनि साढ़े साती कहते हैं. साढ़े साती यानी साढ़े सात साल का समय होता है और इस दौरान शनिदेव तीन राशियों से तीन बार गुजरते हैं. इसी तरह जब शनि अपनी जन्म राशि से चतुर्थ या आठवीं राशि में गोचर करना शुरू करते हैं, तो इसे शनि ढैया कहा जाता है. इसका मतलब है कि शनि के ढाई साल जन्म राशि से चौथे और आठवें राशि में प्रवेश कर रहे हैं.
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शनि की साढ़े साती और शनि ढैया व्यक्ति के लिए बड़ी चुनौती लाते हैं. शनिदेव उस व्यक्ति को अधिक प्रभावित करते हैं जब वे उसकी जन्म कुंडली में हो. ऐसे समय में उस व्यक्ति के लिए समस्याएं पैदा करते हैं. ज्योतिष कौशल मिश्रा के अनुसार जानें शनि की साढ़े साती और शनि ढैया कब शुरू होते हैं और अलर्ट क्या है जिसे समझना जरूरी होता है. आगे पढ़ें…
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शनि का सबसे बड़ा और सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्ति के पैरों में देखने को मिलता है. उनकी एड़ियां फटने लगेंगी और उनकी चप्पलें बार-बार टूटती हैं.
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मन बहुत सारा भय रहता है.
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व्यक्ति वर्तमान में न जी कर और हमेशा भविष्य के बारे में सोचता रहता है.
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व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं जिसमें नसों और नाड़ी संबंधी समस्याएं शामिल हैं.
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कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
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घर में परेशानी होती है.
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शनि की साढ़े साती या ढैय्या की बड़ी परेशानी से बचने के लिए मंदिर या काली मंदिर में जाकर देवताओं को नारियल अर्पित करना चाहिए.
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तांत्रिका देवी सूक्त का नियमित पाठ करना चाहिए. यदि आप इसे रोजाना नहीं कर पा रहे हैं तो शनिवार के दिन करें.
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शनि की साढ़े साती और शनि ढैया से राहत पाने के लिए शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए.
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जितना हो सके मन में ओम शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए.
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भविष्य के बारे में सोचना बंद करके अपने वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए.
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प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों तेल का दीया जलाना चाहिए.