Shani Shingnapur Temple Visit: शनि शिंगनापुर मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर भगवान शनि के लिए प्रसिद्ध है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे आज भी यहां एक काले पत्थर में निवास करते हैं. यह मंदिर हर साल बड़ी मात्र में भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. शनि शिगनापुर मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास इतना मजबूत है कि यहां गाँव के किसी भी घर में दरवाजे और ताले का इस्तेमाल नहीं करता.
शनि शिंगणापुर कहां स्थित है?
शनि महाराज का सर्वप्रसिद्ध मंदिर शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur Mandir) महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर नामक जिले में एक छोटे से गांव में स्थित है. जिसके बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां रहने वाले लोगों की रक्षा स्वयं शनि भगवान करते हैं.
शनि शिंगणापुर में क्या खासियत है?
शनि शिंगणापुर ( Shani Shingnapur ) की सबसे ख़ास बात यह है कि इस गाँव की रक्षा स्वयं शनिदेव करते हैं. यहाँ रहने वाले लोग सोना, चांदी व कीमती चीजों के लिए लॉकर या तिजोरी अपने घरों में नहीं रखते हैं. यहाँ लोगों के घरों में कुण्डी या ताला तक नहीं लगाया जाता फिर दरवाजे होने का तो सवाल ही नहीं उठता. साथ ही बताते चलें कि इस गाँव में कभी कोई चोरी नहीं होती. ऐसा माना जाता है कि जो भी यहाँ चोरी करता है उसे स्वयं शनिदेव सज़ा देते हैं.
शिंगणापुर मंदिर की कहानी
शिंगणापुर (Shingnapur) में स्थापित शनि देव (Shani Dev) का मंदिर सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक तो है परन्तु बहुत कम लोग इसकी मंदिर के अस्तित्व के पीछे का रहस्य जानते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है इस मंदिर के अस्तित्व में आने का रहस्य.
कहानी कुछ इस प्रकार है कि इस गाँव में आज से करीब 200 साल पहले यहाँ मूसलाधार बारिश के चलते बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी. उसी दौरान एक काले रंग की पत्थर रूपी मूर्ति पानी में बहते हुए एक बेर के वृक्ष के पास आकर अटक गई.
जब बाढ़ का पानी कम होने पर गाँव के लोग मवेश चराने के लिए बाहर निकले तो उन्होंने वह काले रंग की मूर्ति को देखा. जैसे ही उस मूर्ति को एक छड़ी के माध्यम से स्पर्श करने का प्रयास किया गया उसमें से रक्त बहने लगा. बहता हुआ रक्त देख लोग वहां से डर के भाग निकले. भय खाये हुए लोगों ने जाकर पूरे गाँव में इस घटना की जानकारी दी. रक्त बहने वाली उस काली मूर्ति को देखने के लिए गाँव के सभी लोग उसके निकट आ गए.
माना जाता है कि उसी रात एक व्यक्ति के स्वप्न में शनि देव दिखाई दिए थे उन्होंने उस मूर्ति को एक मंदिर में स्थापित करने का आदेश दिया था. अगले ही दिन शनिदेव के स्वप्न को सच में बदलने के लिए गाँव वाले बैलगाड़ी लेकर उस मूर्ति के निकट पहुंचे. सभी ने बहुत प्रयास किये परन्तु वह मूर्ति टस से मस न हुई. इसके बाद दोबारा उस रात को शनिदेव ने स्वप्न में आकर कहा था कि जो भी सगे मामा-भांजे हो वे ही इसे उठा सकते हैं. इस निर्देश के बाद बड़ी ही आसानी से इस मूर्ति को उठाकर स्थापित कर दिया गया.
मूर्ति पर आज तक नहीं पड़ी किसी की छाया
यह मूर्ति एक खुले आसमान के नीचे रखी गई है. इस मूर्ति की उत्तर दिशा में एक नीम का वृक्ष है लेकिन उस वृक्ष की एक भी डाली की छाया इस मूर्ति पर आज तक नहीं पड़ी. छाया पड़ने से पहले ही वह डाली खुद-ब-खुद टूट कर गिर जाती है. जिस छड़ी से इस मूर्ति को स्पर्श किया गया था उसके कारण मूर्ति में घाव रूपी छेद हो गया था जो कि आज तक बना हुआ है.
शनि शिंगनापुर मंदिर में दर्शन मात्र से शनि दोष की होती है समाप्ति
जयेष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति शनि के प्रकोप जैसे शनि की ढैय्या या साढ़े साती से पीड़ित हैं उन्हें शनि जयंती पर शनि शिंगनापुर मंदिर में जाकर दर्शन अवश्य करने चाहिए. शनि देव न्याय के देवता माने जाते हैं इसलिए यदि कोई दोष से पीड़ित व्यक्ति विधि पूर्वक शनिदेव की पूजा अर्चना करता है तो उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं.
शनि शिंगणापुर में महिलाओं के लिए प्रवेश नियम
यह बात आपको हैरान कर देने वाली है कि महिलाओं को 400 से अधिक वर्षों के लिए मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी. लेकिन 8 अप्रैल 2016 में इस परंपरा के खिलाफ विरोध किये जाने के बाद इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति मिली है.
श्री शनेश्वर देवस्थान प्रसादालय
श्री शनेश्वर देवस्थान ट्रस्ट यहां मंदिर के पास स्थित है जो यहां आने भक्तों के लिए हाइजेनिक भोजन प्रदान करता है. इस कैंटीन में कूपन उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं. यहां एक हजार से अधिक लोग एक साथ भोजन कर सकते हैं.
शनि शिंगणापुर कैसे पहुंचे? भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक शनि शिंगनापुर महाराष्ट्र के तीर्थ स्थल शिरडी से 70 किमी दूरी पर स्थित है. शिरडी से शनि शिंगनापुर जाना सबसे आसान हैं. साईं आश्रम के सामने शनि शिंगणापुर जाने के लिए सुबह 4 बजे से ट्रेवल और टैक्सी वालों की लाइन लग जाती है. शेयर गाड़ी में 120 रूपये प्रति सवारी, ऑटो में 250 रूपये प्रति सवारी, टेम्पो ट्रेवलर 100 रूपये प्रति व्यक्ति और पर्सनल गाड़ी नॉन एसी 1200 और एसी 1500 रूपये में मिलती है.
शनि शिंगणापुर कैसे पहुंचे?
भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक शनि शिंगनापुर महाराष्ट्र के तीर्थ स्थल शिरडी से 70 किमी दूरी पर स्थित है. शिरडी से शनि शिंगनापुर जाना सबसे आसान हैं. साईं आश्रम के सामने शनि शिंगणापुर जाने के लिए सुबह 4 बजे से ट्रेवल और टैक्सी वालों की लाइन लग जाती है. शेयर गाड़ी में 120 रूपये प्रति सवारी, ऑटो में 250 रूपये प्रति सवारी, टेम्पो ट्रेवलर 100 रूपये प्रति व्यक्ति और पर्सनल गाड़ी नॉन एसी 1200 और एसी 1500 रूपये में मिलती है.
वायु मार्ग से शनि शिंगनापुर कैसे पहुंचे?
शनि शिंगनापुर से 82 किमी की दूरी पर शिर्डी इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थित है. भारत के सभी प्रमुख शहरों से शिर्डी के लिए फ्लाइट उपलब्ध है. यदि आपके शहर से शिर्डी के लिए डायरेक्ट फ्लाइट नहीं है तो आप शनि शिंगनापुर से 90 किलोमीटर दूर औरंगाबाद एयरपोर्ट, 144 किलोमीटर दूर नासिक एयरपोर्ट या 161 किलोमीटर दूर पुणे एयरपोर्ट आ सकते है. यहाँ से आप बस या टैक्सी के जरिये शनि शिंगनापुर पहुँच सकते है.
ट्रेन से शनि शिंगनापुर कैसे पहुंचे?
शनि शिंगनापुर में रेलवे स्टेशन नहीं है. शनि शिंगनापुर से राहुरी 32 किमी, अहमदनगर 35 किमी दूर, श्रीरामपुर 54 किमी दूर और शिरडी रेलवे स्टेशन 85 किमी की दूरी पर हैं. देश के कई शहरों से इन रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं. यहाँ से बस, टैक्सी या ऑटो से शनि शिंगनापुर पहुँचा जा सकता है.
सड़क मार्ग से शनि शिंगणापुर कैसे पहुंचे?
शनि शिंगणापुर देश के सभी शहरों से सड़क मार्ग के द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. शिर्डी और शनि शिंगणापुर के दर्शन के लिए महाराष्ट्र और आस पास के अन्य राज्यों से एसी और नॉन एसी बसें चलती है. आप इन बसों से शनि शिंगणापुर पहुचकर सुबह शनि शिंगणापुर और शाम तक साईं बाबा के दर्शन करके रात को अपने शहर के लिए वापस बस पकड़ सकते है. शनि शिंगनापुर पहुचने से पहले मार्ग में कई गन्ने के रस वाले मिलते है, उनका बैल जोतकर निकला गन्ने का रस जरुर पीजियेगा.