Bhadrapada Amavasya 2022: भाद्रपद माह भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का महीना होता है इसलिए भाद्रपद अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिये कुशा एकत्रित की जाती है. कहा जाता है कि धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में इस्तेमाल की जाने वाली घास यदि इस दिन एकत्रित की जाये तो वह पुण्य फलदायी होती है.
इस बार भाद्रपद मास की अमावस्या आज 27 अगस्त शनिवार को पड़ रही है. इस अमावस्या पर धार्मिक उद्देश्यों के लिए कुश एकत्र किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन धार्मिक कार्यों, श्राद्ध आदि में प्रयुक्त घास को यदि एकत्र किया जाए तो वह पुण्य फलदायी होता है.
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ: 26 अगस्त,शुक्रवार, दोपहर 12: 23 मिनट से
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि समाप्त: 27 अगस्त, शनिवार,दोपहर 01: 46 मिनट पर
उदया तिथि के आधार पर भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त शनिवार को है
हर माह में आने वाली अमावस्या की तिथि का अपना विशेष महत्व होता है. भाद्रपद अमावस्या के दिन धार्मिक कार्यों के लिये कुशा एकत्रित की जाती है, इसलिए इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है. वहीं पौराणिक ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है. यदि भाद्रपद अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इस कुशा का उपयोग 12 सालों तक किया जा सकता है.
भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. इस संदर्भ में पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था. विवाहित स्त्रियों द्वारा संतान प्राप्ति एवं अपनी संतान के कुशल मंगल के लिये उपवास किया जाता है और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है.
शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि तक जाने में ढाई वर्ष का समय लेता है. इसे शनि की साढ़ेसाती कहते हैं. यह एक राशि से उतर रहा होता है और एक राशि पर चढ़ रहा होता है.
शनि अमावस्या पर छायादान बहुत कारगर उपाय है. इसके लिए सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखकर उसका दान करना चाहिए.
1. शनि देव कर्मों के अनुसार फल देते हैं. दान करना पुण्य कर्म माना गया है, इसलिए शनिवार के दिन लोहा, काले उड़द की दाल, काला तिल या काला वस्त्र दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
2. शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और शनि स्त्रोत का पाठ करें. इससे भी शनि देव प्रसन्न होते हैं.
3. शनिवार के दिन शनि देव के मंदिर में जाकर सरसों के तेल में काला तिल और एक लोहे की कील मिलाकर शनि देव को अर्पित करें.
4. हनुमान जी की पूजा, हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी शनि देव से शांति मिलती है और अशुभ फल मिलना कम हो जाते हैं.
5. शनिवार को मछली, पक्षी और पशुओं को चारा खिलाने से शनि का प्रभाव कम हो जाता है.
6. प्रत्येक दिन यदि मजबूर और लाचार लोगों को सामर्थ्य अनुसार दान करें तो भी शनि देव शांत हो जाते हैं.
7. प्रतिदिन सुबह में चिड़ियों को दाना और पानी दें.
8. चींटियों को आटा, शक्कर भी दे सकते हैं.
9. प्रतिदिन सूर्य को जल दें. गलत या अनुचित कार्य से बचें.
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यदि शनि शनि की ढैय्या के बुरे प्रभाव से बचना चाहते हैं तो हनुमान चालीसा अचूक उपाय है. कहा जाता है कि श्री हनुमान चालीसा का पाठ शनि के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है.
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शनि से बचने के लिए शनि मंत्र का जाप करें. शनि मंत्र है- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ साथ ही शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र ‘ॐ शं शनैश्चरायै नमः’ का जाप भी कर सकते हैं. शनि पूजा के समय न करें ये गलतियां, नहीं तो हो सकता है नुकसान, ऐसी है मान्यता
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कहा जाता है कि तिल, तेल और छायापात्र दान शनि देव को काफी प्रिय हैं इसलिए इन चीज़ों का दान शनि ग्रह को शांत करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. छायापात्र दान करने के लिए मिट्टी के किसी बर्तन में सरसों का तेल लें और उसमें अपनी परछाई देखकर उसे दान कर दें.
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शनि ग्रह को मजबूत करने के लिए धतूरे की जड़ को धारण करने की सलाह भी दी गई है. धतूरे की जड़ को आप गले या हाथ में भी बांध सकते हैं. धतूरे की जड़ को शनिवार के दिन शनि होरा अथवा शनि के नक्षत्र में ही धारण करना चाहिए.
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