Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा 2020 का कोरोना वायरस से इम्यूनिटी से क्या है कनेक्शन? आज चांद क्यों हर किसी को देखना है जरूरी…
Sharad Purnima 2020: पूर्णिमा एक साल में कई बार आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है. साल की सभी पूर्णिमा में आश्विन पूर्णिमा विशेष चमत्कारी मानी गई है. आश्विन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर यानि कल शुक्रवार को है. इस दिन स्नान-दान व पूजा करने का विशेष दिन माना जाता है.
Sharad Purnima 2020: पूर्णिमा एक साल में कई बार आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है. साल की सभी पूर्णिमा में आश्विन पूर्णिमा विशेष चमत्कारी मानी गई है. आश्विन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर यानि कल शुक्रवार को है. इस दिन स्नान-दान व पूजा करने का विशेष दिन माना जाता है. इस दिन 16 कलाओं से युक्त शरद पूर्णिमा बहुत विशिष्ट है. क्योंकि एक माह में यह दूसरी पूर्णिमा है. पहली पूर्णिमा एक अक्तूबर को थी. यह संयोग मलमास के कारण बना है. शरद पूर्णिमा धर्म, अध्यात्म और आयुर्वेद की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणें हमारे शरीर और वातावरण के लिए अमृत लाभदायक है.
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त Sharad Purnima Shubh Muhurat
शरद पूर्णिमा स्नान-दान और पूजन करने का दिन है. शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. शरद पूर्णिमा से देव दीपावली के निमित्त दीपदान शुरू हो जाएगा.
इम्यूनिटी बढ़ाती हैं शरद पूर्णिमा की रात
शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणें औषधीय गुणों से युक्त अमृत के समान होती हैं. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान में खीर रखी जाती है. भोर में इसका सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता व इम्यूनिटी को बढ़ाता है.
ब्लू मून सी की रहेगी दिव्य चमक
धार्मिक मान्यता है कि एक माह में जब दो पूर्णिमा का योग बनता है तो उसे ब्लू मून कहते हैं. चन्द्रमा की किरणें अधिक चमकीली होती हैं.
चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का क्या है मान्यता
एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है. रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है. अध्ययन के अनुसार दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है. यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है. चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है. इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है. यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है.
खीर के सेवन से पहले रखें इन बातों का ध्यान
शोध के अनुसार खीर को चांदी के बर्तन में बनाना चाहिए. चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है. इससे विषाणु दूर रहते हैं. मान्यता है कि इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा के दिन स्नान करना चाहिए. रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय उपयुक्त रहता है. वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा की रात दमा रोगियों के लिए वरदान बनकर आती है. इस रात्रि में दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर उसे चांदनी रात में रखकर प्रात: 4 बजे सेवन किया जाता है. रोगी को रात्रि जागरण करना पड़ता है और औषधि सेवन के पश्चात 2-3 किमी पैदल चलना लाभदायक रहता है.
News Posted by: Radheshyam Kushwaha