आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस रात चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट एवं अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. इस दिन अमृतमयी चंद्रमा अपनी किरणों में स्वास्थ्य का वरदान लेकर आता है. इस बार शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर के दिन पड़ रही है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान इंद्र, मां लक्ष्मी के साथ एरावत पर बैठकर धरती पर विचरण करने आते हैं और यह देखते हैं कि यहां पर कौन जाग रहा है.
आसमान से होती है अमृत वर्षा
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है. चंद्रदेव अपनी अमृत किरणों से पृथ्वी पर अपनी शीतलता और पोशक शक्ति की अमृत वर्षा करते हैं. ऐसे में लोग चांदनी रात में विशेष रूप से खीर का प्रसाद बनाते हैं और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं. खीर बनाने के पीछे भी कारण यह है कि इसमें मिलाया गया दूध, चीनी और चावल का संबंध भी चंद्रदेव से ही जुड़ा हुआ है. ऐसे में यह पूरी तरसे चंद्रमा की रोशनी से निकलने वाले अमृत तत्व से परिपूर्ण होकर दिव्य प्रसाद में परिवर्तित हो जाता है और उसे ग्रहण करके व्यक्ति साल भर सुखी, समृद्धि और निरोगी रहता है.
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima Tithi And Shubh Muhurat)
इस बार शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा 19 अक्टूबर, 2021, मंगलवार को मानई जाएगी.
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-19 अक्टूबर 2021 को शाम 07 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर 2021 को रात्रि 08 बजकर 20 मिनट पर
इस दिन खाएं खीर
शरद पूणिमा के दिन चंद्रमा की भी पूजा की जाती है और पूजा के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. उन्हें गाय के दूध और चावल की खीर बनाकर भोग लगाया जाता है. इसके बाद इस खीर को रात में खुले आसमान के नीचे रख देते हैं. मान्यता है कि रात में चंद्रमा द्वारा अमृत वर्षा की जाती है. इससे यह खीर अमृतमयी हो जाती है. अगले दिन सुबह इस खीर को प्रसाद स्वरूप परिवार के सभी लोगों में बांटी जाती है. मान्यता है कि इसके खाने से घर परिवार की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं.