Sharad Purnima 2021: सनातन संस्कृति में मनाए जाने वाली शरद पूर्णिमा इस बार 19 अक्टूबर को मनाई जा रही है. शरद पूर्णिमा को चंद्रमा के पूजन की विधि है और प्रसाद स्वरूप खीर को पूरी रात्रि खुले आसमान के नीचे रखने से उसमें औषधीय गुण आने की बात कही जाती है. इस खीर को सुबह में खाने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. शरद पूर्णिमा के पर्व और पूजन विधि के बारे में विस्तृत रूप से बताने के लिए काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी से प्रभात खबर ने विशेष बातचीत की.
पंडित पवन त्रिपाठी के मुताबिक सनातन धर्म में कोई पर्व को मनाने के दो आधार हैं, पहला आध्यात्मिक दूसरा वैज्ञानिक. हमारे ऋषि त्रिकालदर्शी थे. वो ग्रहों के रहस्य जानते थे. आकाशीय संयोग विशेष रूप से जब स्थापित होता है तभी हमारे व्रत और उत्सव का सृजन होता है. जब भी ऋतु का सृजन होता है तो हमारे सनातन धर्म में उस ऊर्जा को अधिक से अधिक ग्रहण करने की प्रक्रिया बताई गई है. इस खगोलीय घटना का हम कैसे ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं, यही शरद पूर्णिमा का सार्थक मतलब है.
Also Read: Sharad Purnima 2021: मां लक्ष्मी के वास के लिए ऐसे करें शरद पूर्णिमा के दिन पूजा, नहीं होगी कभी पैसों की कमीशरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें. अपने आराध्य देव की आराधना करें. सायंकाल में रात्रि जागरण करना चाहिए. शरद पूर्णिमा को खास तौर पर श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए. वो भी अल्प वस्त्र, ताकि चंद्रमा की रोशनी से निकली ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा हमारे शरीर पर अपनी ऊर्जा का प्रभाव दिखा सके. उसके बाद प्रसाद स्वरूप गौ के दूध में खीर पकाना चाहिए. मगर उसमें बाजार या फैक्ट्री वाली चीनी का उपयोग ना करें. देसी चीनी गुड़ डालकर खीर को पकाना चाहिए. मध्य रात्रि में खीर को चांदनी में स्थापित करते हुए सारी रात चंद्रमा की रोशनी इसमें ग्रहण करने के लिए खुले आकाश में रखना चाहिए. सुबह में खीर के सेवन से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है. पौराणिक ग्रंथों में जिक्र है शरद पूर्णिमा की रात अमृत वर्षा होती है.
(रिपोर्ट: विपिन सिंह, वाराणसी)