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Sharad Purnima 2021: आज है शरद पूर्णिमा, मां लक्ष्मी की कृपा पाने जानें पूजन विधि और मंत्र

Sharad Purnima 2021: अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा पर विशेष रूप से चंद्रमा और मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है. इस दिन प्रातः काल में स्नान कर, व्रत का संकल्प लेना चाहिए. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पूजन विधि और मां लक्ष्मी के मंत्र.....

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2021 7:43 AM

Sharad Purnima 2021 हिंदू धर्म में सभी पूर्णिमा तिथियों में शरद पूर्णिमा का विशेष स्थान है. इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पूजन विधि और मां लक्ष्मी के मंत्र…..

शरद पूर्णिमा पर उपाय

खीर में मिश्रित दूध, चीनी और चावल के कारक भी चंद्रमा ही हैं अतः इनमें चंद्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है जिसके परिणाम स्वरूप किसी भी जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा क्षीण हों, महादशा-अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा चल रही हो या चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो चन्द्रमा की पूजा करते हुए स्फटिक माला से ‘ॐ सों सोमाय’ मंत्र का जाप करें, ऐसा करने से चंद्रजन्य दोष से शान्ति मिलेगी.

रात्रि में मां लक्ष्मी की षोडशोपचार विधि से पूजा करके ‘श्रीसूक्त’ का पाठ, ‘कनकधारा स्तोत्र’, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अथवा भगवान् कृष्ण का ‘मधुराष्टकं’ का पाठ ईष्टकार्यों की सिद्धि दिलाता है पूजा में मिष्ठान, मेवे और खीर का भोग लगाएं, रात्रि में ही बड़े पात्र में खीर बनाकर खुले आसमान में अथवा छत पर रखें.

Sharad Purnima 2021: शरद पूर्णिमा के पूजन मंत्र

1-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

2- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

3- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

शरद पूर्णिमा पर क्या करें

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें. पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें. रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को भोग लगाएं. रात को खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन ग्रहण करें. यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें.

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