आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का त्योहार मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग में युग्म संयोग में मनाया जायेगा. प्रदोष काल व निशीथ काल में पूर्णिमा तिथि विद्यमान होने से शरद पूर्णिमा आज ही मनेगा. वहीं स्नान दान तथा व्रत की पूर्णिमा उदयातिथि में बुधवार को रेवती नक्षत्र तथा हर्षण योग में मनायी जायेगी.
शरद पूर्णिमा आज, स्नान-दान व व्रत की पूर्णिमा कल
दुर्गा पूजा के बाद शांति पूजा के रूप घरों व मंदिरों में सत्यनारायण भगवान की पूजा व ब्राह्मणों द्वारा सप्तध्यायी कथा सुनी जायेगी. समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा पर ही देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी. इसलिए इसे लक्ष्मी जी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है.
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का है सबसे खास दिन
वैदिक ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा आज शरद पूर्णिमा पर अतिपुण्यकारी व सिद्धि प्रदेता सर्वार्थ सिद्धि योग तथा रवियोग के युग्म संयोग में मनायी जायेगी. मिथिला में इस वर्ष विवाहित वर का कोजगरा का रस्म अदा की जायेगी.आज भोजन में विशेष व्यंजन तथा पान-मखान खाने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि यह स्वर्ग में भी नहीं मिलती है. आज शरद पूर्णिमा की रात्रि में पूरी रात घी का दीपक जलाने तथा खीर बनाकर चंद्र की शीतल में रख अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से धन, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है.
खरीदारी के लिए शुभ है आज का दिन
आचार्य राकेश झा के अनुसार आज शरद पूर्णिमा कई पुण्यकारी शुभ योग बन रहे है. इस योग में नया व्यापर आरंभ, प्रॉपर्टी खरीदी, स्थायी निवेश करना बेहद शुभ रहेगा. शरद पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि तथा रवियोग योग होने से इलेक्ट्रॉनिक सामान, ज्वेलरी, फर्नीचर, वाहन और सुख-सुविधा देने वाले अन्य सामानों की खरीदारी शुभ रहेगा.
सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है चंद्रमा
पंडित झा ने बताया कि अश्विन शुक्ल पूर्णिमा आज शाम 06:56 बजे से शुरू होगी तथा रातभर पूर्णिमा तिथि रहेगी. इसलिए मंगलवार की रात्रि को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जायेगा. यह रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. पूर्णिमा तिथि बुधवार को पूरे दिन रहेगी व रात्रि 07:48 बजे खत्म हो जायेगी. इसलिए बुधवार को पूर्णिमा व्रत, पूजा, तीर्थ स्नान व दान किया जायेगा.