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Sharad Purnima 2022: कब है शरद पूर्णिमा, जानें क्या है इस विशेष दिन की मान्यता और सही पूजन विधि

Sharad Purnima 2022: पंचांग के अनुसार, इस बार 09 अक्टूबर 2022 को शरद पूर्णिमा है.कहते हैं साल में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं के साथ निकलता है, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देव की विशेष उपासना का विधान है.

By Shaurya Punj | October 6, 2022 4:01 PM

Sharad Purnima 2022:  शरद ऋतु में आने वाली पूर्णिमा का काफी महत्व माना गया है. मान्यता के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा संपूर्ण, सोलह कलाओं से युक्त होता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा पावन अमृत बरसाता है जिससे धन-धान्य, प्रेम, और अच्छी सेहत सबका वरदान प्राप्त होता है. यह वही दिन है जिस दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था. ऐसे में जो कोई भी इंसान इस दिन विधिवत तरीके से पूजा-इत्यादि करता है उसे अच्छे स्वास्थ्य, जीवन में प्यार और धन धान्य की प्राप्ति अवश्य ही होती है.  पंचांग के अनुसार, इस बार 09 अक्टूबर 2022 को शरद पूर्णिमा है.

क्यों खास है शरद पूर्णिमा

कहते हैं साल में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं के साथ निकलता है, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देव की विशेष उपासना का विधान है. इस दिन महिलाएं उपवास रख अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.

शरद पूर्णिमा पर उपाय

खीर में मिश्रित दूध, चीनी और चावल के कारक भी चंद्रमा ही हैं अतः इनमें चंद्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है जिसके परिणाम स्वरूप किसी भी जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा क्षीण हों, महादशा-अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा चल रही हो या चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो चन्द्रमा की पूजा करते हुए स्फटिक माला से ‘ॐ सों सोमाय’ मंत्र का जाप करें, ऐसा करने से चंद्रजन्य दोष से शान्ति मिलेगी.

Sharad Purnima 2021: शरद पूर्णिमा के पूजन मंत्र

1-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

2- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

3- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

शरद पूर्णिमा पर क्या करें

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें. पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें. रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को भोग लगाएं. रात को खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन ग्रहण करें. यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें.

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