Navratri 2020, Durga Saptashati, Mantra, Sloka : आज से नवरात्र शुरू हो गया है. इस क्रम में हम यहां कुछ विशिष्ट उपाय वर्णित करने जा रहे हैं जो शप्तशती कि पुस्तक साथ रखकर किये जा सकते हैं. ऐसा करने पर मां महामाया आप सबको उन्नति और समस्यारहित जिंदगी का वरदान अवश्य प्रदान करेंगी.
दुर्गा शप्तशती आज के कलयुग में एक बहुत ही प्रभावी और तीव्र प्रभाव देने वाला चरित्र है इसको यदि समुचित तरीके से प्रयोग किया जाये तो एक व्यक्ति को उसके सभी प्रश्नों और समस्यायों का निवारण इसके श्लोकों में निहित है. इस पुस्तक कि जरुरत हर एक घर में है और साथ ही इसके विधानों कि जानकारी भी प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है.
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शैलपुत्री साधना- भौतिक एवं आध्यात्मिक इच्छा पूर्ति.
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ब्रहा्रचारिणी साधना- विजय एवं आरोग्य की प्राप्ति.
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चंद्रघण्टा साधना- पाप-ताप व बाधाओं से मुक्ति के लिए.
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कूष्माण्डा साधना- आयु, यश, बल व ऐश्वर्य की प्राप्ति.
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स्कंद साधना- कुंठा, कलह एवं द्वेष से मुक्ति.
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कात्यायनी साधना- धर्म, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति तथा भय नाशक.
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कालरात्रि साधना- व्यापार/रोजगार/सर्विस संबधी इच्छा पूर्ति.
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महागौरी साधना- मनपसंद जीवन साथी व शीघ्र विवाह के लिए.
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सिद्धिदात्री साधना- समस्त साधनाओं में सिद्ध व मनोरथ पूर्ति.
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लक्ष्मी, ऐश्वर्य, धन संबंधी प्रयोगों के लिए पीले रंग के आसन का प्रयोग करें
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वशीकरण, उच्चाटन आदि प्रयोगों के लिए काले रंग के आसन का प्रयोग करें
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बल, शक्ति आदि प्रयोगों के लिए लाल रंग का आसन प्रयोग करें
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सात्विक साधनाओं, प्रयोगों के लिए कुश के बने आसन का प्रयोग करें
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वस्त्र- लक्ष्मी संबंधी प्रयोगों में आप पीले वस्त्रों का ही प्रयोग करें
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यदि पीले वस्त्र न हो तो मात्र धोती पहन लें एवं ऊपर शाल लपेट लें
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आप चाहे तो धोती को केशर के पानी में भिगोंकर पीला भी रंग सकते हैं
व्रत करने वाला मनुष्य इस विधान से होम कर आचार्य को अत्यंत नम्रता के साथ प्रमाण करें और यज्ञ की सिद्धि के लिए उसे दक्षिणा दें। इस महाव्रत को पहले बताई हुई विधि के अनुसार जो कोई करता है उसके सब मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। नवरात्र व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है.
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पहले दिन एक अध्याय
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दूसरे दिन दो अध्याय
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तीसरे दिन एक अध्याय
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चौथे दिन चार अध्याय
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पाँचवे दिन दो अध्याय
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छठवें दिन एक अध्याय
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सातवें दिन दो अध्याय
पाठ कर सात दिनों में श्रीदुर्गा-सप्तशती के तीनो चरितों का पाठ कर सकते हैं
श्रीदुर्गा-सप्तशती-पाठ के दौरान सबसे पहले अपने सामने ‘गुरु’ और गणेश जी आदि को मन-ही-मन प्रणाम करते हुए दीपक को जलाकर स्थापित करना चाहिए. फिर उस दीपक की ज्योति में भगवती दुर्गा का ध्यान करना चाहिए.
Posted By : Sumit Kumar Verma