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Shardiya Navratri 2022: इस दिन से शारदीय नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

Shardiya Navratri 2022: शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. तो आइए जानते हैं कि इस साल यह 9 दिन का उत्सव किस तारीख से शुरू हो रहा है. साथ ही जानते हैं कि व्रत और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि क्या है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2022 9:07 AM

Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूप की पूजा-आराधना की जाती है. एक वर्ष में पांच बार नवरात्र आते हैं, चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ नवरात्र. इनमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है.

इसके अलावा आषाढ़, पौष और माघ गुप्त नवरात्रि होती है. शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है. शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. तो आइए जानते हैं कि इस साल यह 9 दिन का उत्सव किस तारीख से शुरू हो रहा है. साथ ही जानते हैं कि व्रत और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि क्या है.

शारदीय नवरात्रि की तिथि

इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर, सोमवार से आरंभ हो रही है और इसका समापन 5 अक्टूबर, बुधवार दशहरा के दिन होगा. इस बार नवरात्रि पर बहुत ही खास योग बन रहा है. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म दो शुभ योग में हो रही है.

नवरात्रि तिथि शुभ योग

पहला योग शुक्ल योग है जिसकी शुरुआत 25 सितंबर रात्रि 9 बजकर 6 मिनट से होगी और अगले दिन 26 सितंबर 2022 को 8 बजकर 6 मिनट पर तक रहेगी.
दूसरा योग ब्रह्म योग है जो 26 सितंबर, प्रातः 8 बजकर 6 मिनट से शुरू होगा जिसका समापन 27 सितंबर, मंगलवार, 6 बजकर 44 मिनट पर होगा

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान

दिन 1 – माँ शैलपुत्री पूजा – यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है. मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं.
दिन 2 – माँ ब्रह्मचारिणी पूजा – ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

दिन 3 – माँ चंद्रघंटा पूजा – देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
दिन 4 – माँ कूष्मांडा पूजा – माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है.

दिन 5 – माँ स्कंदमाता पूजा – देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
दिन 6 – माँ कात्यायनी पूजा – देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

दिन 7 – माँ कालरात्रि पूजा – देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
दिन 8 – माँ महागौरी पूजा – देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

दिन 9 – माँ सिद्धिदात्री पूजा – देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं. Prabhat Khabar का उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.’

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