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इस साल नवरात्रि पर कुछ विशेष योग बन रहा है नक्षत्र चित्रा है तथा लगन कन्या है
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वही स्वाति नक्षत्र में चंद्रमा ,केतु मंगल साथ में रहेंगे
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शनि कुम्भ राशि में उनके ऊपर शुक्र की सप्तम दृष्टि बना हुआ है
Shardiya Navratri 2023, Shash Rajyog: नवरात्रि तो हर साल मानते है लेकिन 2023 के शारदीय नवरात्रि 15 अक्तूबर से आरंभ हो रहा है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस साल नवरात्रि पर कुछ विशेष योग बन रहा है नक्षत्र चित्रा है तथा लगन कन्या है इस दिन ग्रहों का योग बहुत बेहतर है बुध स्वगृही होकर सूर्य के साथ बैठे हुए है. जिसे बुधादित्य योग का निर्माण कन्या राशि में होगा.वही स्वाति नक्षत्र में चंद्रमा ,केतु मंगल साथ में रहेगे.शनि कुम्भ राशि में उनके ऊपर शुक्र की सप्तम दिर्ष्टि बना हुआ है.
मेष राशि में गुरु के साथ राहु है लेकिन देवगुरु वक्री गति में चल रहे है यह तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी होकर सातवे भाव यानि बहुत ही बेहतर अवस्था में है शुक्र बहुत ही लाभकारी स्थिति में है अष्टम भाव तथा केंद्र के स्वामी होकर लाभ के घर में बैठे हुए है.जिसे कई तरह के योग बन रहा है शशराजयोग के साथ भद्रराजयोग के साथ लक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है जो माता के भक्त के लिए बहुत ही लाभकारी रहने वाला है.
इस दिन नया कार्य करने लिए बेहतर दिन है .हिन्दू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का व्रत आश्विन मास के शुक्लपक्ष के प्रतिपदा तिथि से आरंभ होकर नवमी तिथि तक यानि पुरे 9 दिन तक चलने वाला यह शारदीय नवरात्रि का व्रत बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. प्रतिपदा के दिन प्रातः काल यानि ब्रह्म मुहूत से माँ दुर्गा का पूजन का शुरुआत आरंभ होता है. प्रायः हिंदू परिवार के सभी घरों में घट की स्थापना यानी कलश स्थापना किया जाता है. शारदीय नवरात्रि में माता का पूजन बड़े ही धूम -धाम से मनाया जाता है. माता के नवरूप का पूजन अलग -अलग दिन को अलग -अलग रूप में किया जाता है.
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माता के नवरूप के पूजन करने से परिवार में बने हुए सभी कष्ट दूर हो जाते है.ऐसे में नवरात्रि साल में चार बार पड़ती है. चैत ,अषाढ़ आश्विन और माघ मास इन मास में पूजन करने से परिवार में बने हुए सभी दोष दूर होते है.माता की कृपा आपके ऊपर भरपूर बनी रहती है .इस दिन घर में कलश स्थापना करके दुर्गासप्त्शी का पाठ 9 दिन तक किया जाता है. साथ में अन्य देवी देवता का पूजन किया जाता है.नवरात्रि के अंतिम दिन पाठ समाप्त करके पाठका हवन करे.उसके बाद बाद में कुआरी कन्यायो का भोजन कराये.
कब है कलश स्थापना
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
15 अक्तूबर 2023 दिन रविवार समय सुबह 11 :12 मिनट से लेकर 11:58 मिनट तक यह मूहूर्त अभिजीत मूहूर्त होता है इस मूहूर्त में कलश का स्थापना करना बहुत ही सौभाग्यपूर्ण होता है.
प्रतिपदा तिथि का आरंभ 14 अक्तूबर 2023 की रात्रि 11 :24 मिनट से प्रतिपदा तिथि समाप्ति 16 अक्तूबर 2023 रात्रि 12 :32 में इस वर्ष कलश स्थापना का प्रतिपदा तिथी है. वह पूरे दिन बन रहा है जो कल्याणकारी है.
कलश स्थापना कैसे करें
पूजनकर्ता सुबह उठकर नित्य क्रिया से निर्वित होकर स्नान करे स्वस्छ कपड़ा या नया कपडा लाल रंग का धारण करे.गंगाजी से मिट्टी लाए या स्वच्छ स्थान का मिटटी हो. मिट्टी को पूजा वाले स्थान में रखे. जहां पूजा करनी हो. कलश जहा पर रखने की है मिट्टी में सप्तधान्य मिलाए या जौ मिलाकर रखे. उसके ऊपर मिटटी का कलश या पीतल ,तांबे का लोटा रखे.उसमे जल डाले, या गंगाजल डाले,कलश के ऊपर नारियल लाल कपडा में लपेटकर रखे.कलश पर स्वस्तिक बनाये.कलश को लाल कपडा से लपेट दे. कलश के ऊपर चंदन, कुमकुम,हल्दी चढ़ाये.कलश में सर्व औषधि डाले ,सुपारी डाले.फिर हाथ जोरकर कलश का प्रार्थना करे.फिर गणेश जी के साथ सभी देवी देवताओं का आहवान करे उनका पूजन करे.
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दुर्गा जी पूजन कैसे करें
छोटी चौकी ले उसके ऊपर लाल रंग या पिला रंग के कपडा बिछा दे जो माता के आसन रहेगा.उसके उपर माता का प्रतिमा या फोटो रखे .माता को वस्त्र चढ़ाये ,चंदन लगाये ,फूलमाला चढ़ाये ,फिर अखंड दीप जलाये .अगरबती दिखाए .नैवेद में ऋतुफल फल के साथ में पकवान चढ़ाये .पान के पता लौंग इलायची का भोग लगाये.उसमे तुलशी के पता डाले .
दुर्गा पूजन तथा कलश पूजन करने के लिए पूजन सामग्री
रोड़ी ,सिंदूर ,पान ,सुपारी ,रक्षा के सूत ,गंगाजल ,रुइबती ,चावल , कपूर लौंग, इलाइची,माचिस ,पान के पता ,लाल कपडा, पिला चंदन, फुल ,गुड ,शहद ,दही,दूध ,शक्कर, पंचमेवा ,फल,मिठाई , जनेऊ , पक्का केला, ऋतुफल, काजल, दिया ,थाली पूजन के लिए ,पूजन के लिए पीतल का लोटा , आसानी, दुर्गा चालीसा का पुस्तक ,या दुर्गासप्त्शी का पुस्तक , पंचमामृत के लिए गाय का दूध ,दही ,श्रृंगार के सामान , आम के पता , दुर्वा.
आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी.
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को.
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी.
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती.
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती.
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे.
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी.
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ.
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता.
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी.
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती.
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै.
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष , वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847