खरसावां के बागरायडीह में होती है मां दुर्गा के वन स्वरूप की पूजा, यहां सालों भर अर्जी लगाते हैं श्रद्धालु
खरसावां के बागरायडीह में मां दुर्गा के प्रकृति रूप, वनदुर्गा के स्वरूप को पूजे जाने का विधान है. माता का मंदिर अपनी दैवीय शक्ति और भक्ति के लिए लोक आस्था का केंद्र रहा है. यहां सालों भर भक्त अर्जी लगाते हैं.
खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : सराकेला जिले के खरसावां प्रखंड के बागरायडीह गांव में स्थित माता दुर्गा का प्राचीन मंदिर अपनी दैवीय शक्ति और भक्ति के लिए लोक आस्था का केंद्र रहा है. इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था आध्यात्मिक शक्ति और भक्ति से जुड़ी है. यहां मां दुर्गा को प्रकृति रूप यानी वनदुर्गा के स्वरूप में पूजे जाने का विधान है. मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं द्वारा सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है. यहां माता के वनदेवी रुप की भक्ति व आस्था के साथ पूजा की जाती है. मन्नत पूरी करने वाली मां दुर्गा के दरबार में सालों भर पूजा अर्चना के लिए दूर दराज से भक्त पहुंचते हैं. श्रद्धालु अपनी पीड़ा लेकर मां के दरबार में अर्जी लगाने आते हैं. माता सभी के दुख हरतीं हैं और उन्हें खुशहाली प्रदान करती हैं. मन्नत पूरी होने और माता का आशीर्वाद प्राप्त होने के बाद दोबारा भक्त खुशी मन से मां की आराधना करने के लिए आते हैं.
दुर्गा मंदिर पूजा समिति के बबलु प्रधान ने बताया कि बागरायडीह स्थित प्राचीन माता दुर्गा मंदिर में दुर्गा पूजा को लेकर सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. माता के मंदिर में विजयादशमी के दूसरे दिन एकादशी को विशेष पूजा होती है जिसमें हजारो भक्त श्रद्वालुओं की भीड़ उमड़ती है. माता की पूजा व आराधना के लिए यहां केवल सरायकेला-खरसावां जिले ही नहीं बल्कि झारखंड के अन्य जिलों के साथ पड़ोसी राज्य ओडिशा व बंगाल से भी भक्त माता की पूजा करने पहुंचते हैं. दुर्गा मंदिर पूजा समिति के बबलु प्रधान ने बताया कि इस वर्ष 25 अक्टूबर को पूजा सह मेला का आयोजन किया जाएगा. 25 अक्टूबर को जागरण सह मां अम्बे की विधिवत पूजा तथा सुबह 4 बजे से स्थानीय जलाशय से पूजा अर्चना कर दांडी पड़ाव करते हुए मन्दिर पहुंचेंगे.
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