शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा जीवन में सफलता के लिए और सिद्धियां पाने के लिए की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी देवी का अविवाहित रूप है. इनके एक तरफ कमंडल और दूसरी तरफ जप माला होती है.
इस दिन पूजा के बाद मां को शक्कर का भोग लगाना चाहिए. आपको इस दिन हरे रंग का वस्त्र धारण करनी चाहिए. इसके साथ ही इस मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं भ्रामचारिह्य नमः से मां की पूजा करनी चाहिए.
मां ब्रह्मचारिणी को सरल, शांत और सौम्य का प्रतीक माना गया है. माता अपनी तप, त्याग दृढ़ शक्ति के लिए जानी जाती हैं.
पौराणिक कथाओं में बताया गया है माता सती के आत्मदाह करने के बाद मां पार्वती का जन्म हुआ. मां पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं. इसके लिए माता ने कठोर तपस्या की. इस दौरान माता ने ब्रम्हचर्य, त्याग का पालन किया. माता के इस स्वरूप को मां ब्रह्मचारिणी कहते हैं.
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मां ब्रह्मचारिणी को खुश करने के लिए आपको चीनी और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए.
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माता रानी को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल और कमल अर्पित करें, क्योंकि माता को यह दोनों फूल बहुत ही पसंद है.
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माता रानी ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। मंत्र का जाप 108 बार करें.
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ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:। मंत्र का भी जाप कर सकते हैं.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें. माता रानी का पंचामृत से अभिषेक करें.इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन, आदि पूजा की चीजें अर्पित करें.
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी