Shattila Ekadashi 2022: कल यानी 28 जनवरी को षटतिला एकादशी है. यह एकादशी हर साल माघ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. षट्तिला एकादशी की तिथि 28 जनवरी को देर रात 02 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 28 जनवरी को रात्रि में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. अतः व्रती 28 जनवरी के दिन एकादशी व्रत रख भगवान श्रीविष्णु की पूजा-आराधना कर सकते हैं. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है.
जल में तिल और गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर स्नान करके पवित्र होकर शुद्धभाव से देवाधिदेव श्री नारायण का स्मरण करें. रोली,मोली,पीले चन्दन,अक्षत,पीले पुष्प,ऋतुफल,मिष्ठान आदि अर्पित कर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारकर दीप दान करना चाहिए. इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है. तत्पश्चात श्री कृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्घ्य प्रदान करें.
कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव.
संसारार्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ॥
नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन .
सुब्रह्मण्य नमस्तेSस्तु महापुरुष पूर्वज ॥
गृहाणार्ध्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते .
अर्थात ‘सच्चिदानन्दस्वरुप श्रीकृष्ण ! आप बड़े दयालु हैं . हम आश्रयहीन जीवों के आप आश्रयदाता होइये . हम संसार समुद्र में डूब रहे हैं, आप हम पर प्रसन्न होइये . कमलनयन ! विश्वभावन ! सुब्रह्मण्य ! महापुरुष ! सबके पूर्वज ! आपको नमस्कार है ! जगत्पते ! मेरा दिया हुआ अर्ध्य आप लक्ष्मीजी के साथ स्वीकार करें ’.
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्.
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्..
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:.
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:.
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:..
फटतिला एकादशी मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे.
हे नाथ नारायण वासुदेवाय..
ॐ नारायणाय विद्महे.
वासुदेवाय धीमहि.
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्..
ॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
ॐ नमो नारायण.
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि.
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्.
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे..
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर.
भूरि घेदिन्द्र दित्ससि.
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्.
आ नो भजस्व राधसि.
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान.
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते.