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Sheetala Ashtami 2022 Aarti: रोग, कष्ट दूर करने के लिए शीतला अष्टमी पर विधिपूर्वक करें माता की ये आरती

Sheetala Ashtami 2022 Aarti: धार्मिक मान्यता के अनुसार शीतला माता को बासी पकवान के भोग लगाए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि शीतला माता की कृपा से व्यक्ति की त्वचा संबंधी रोग, कष्ट आदि दूर हो जाते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2022 3:22 PM

Sheetala Ashtami 2022 Aarti: शीतला अष्टमी का व्रत 25 मार्च दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है. शीतला अष्टमी को बसोड़ा (Basoda 2022) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन माता शीतला की विधि विधान से पूजा की जाती है. सावधानी पूर्वक सभी नियमों का पालन किया जाता है. शीतला माता की पूजा में अक्षत्, धूप, दीप, गंध, रोली, सिंदूर, कुमकुम, फूल, फल आदि चढ़ाए जाते हैं. उसके बाद शीतला माता की कथा सुनने के बाद आरती की जाती है.

शीतला अष्टमी के दिन लगाया जाता है बासी पकवानों का भोग

शीतला अष्टमी के दिन सप्तमी के दिन बनाए गए पकवानों का भोग लगाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार शीतला माता को बासी पकवान के भोग लगाए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि शीतला माता की कृपा से व्यक्ति की त्वचा संबंधी रोग, कष्ट आदि दूर हो जाते हैं. शीतला पूजा या व्रत रख रहे भक्त इस बात का ध्यान रखें कि शीतला माता की पूजा के अंत में शीतला माता की आरती (Sheetala Mata Ki Aarti) विधिपूर्वक जरूर करें. इसके
लिए आप घी के दीपक या फिर कपूर का उपयोग करते हैं. हालांकि इस दिन दीपक या कपूर जलाए नहीं जाते हैं सिर्फ

शीतला माता की आरती

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।
जय शीतला माता…

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता।
जय शीतला माता…

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता।
जय शीतला माता…

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इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता।
जय शीतला माता…

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता।
जय शीतला माता…

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता।
जय शीतला माता…

जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावें भवनिधि तर जाता।
जय शीतला माता…

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रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता।
जय शीतला माता…

बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता।
जय शीतला माता…

शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता।
जय शीतला माता…

दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता।
जय शीतला माता…

शीतला माता की जय हो!!!

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