बंगाल के मंत्री का करीबी है शेख शाहजहां, संदेशखाली में है उसका दबदबा

तृणमूल अध्यक्ष होने के साथ ही उत्तर 24 परगना जिला परिषद में मत्स्य व पशु पालन विभाग का कर्माध्यक्ष भी है. संदेशखाली इलाके में ही वर्ष 2011 में करीब साढ़े पांच बीघा में एक बाजार का निर्माण हुआ, जो तृणमूल के इसी नेता के नाम से है. इस बाजार में 100 से ज्यादा स्थायी दुकानें हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 6, 2024 7:05 PM

पश्चिम बंगाल में हुए अलग-अलग भ्रष्टाचार के मामलों में से एक राशन वितरण घोटाले की जांच भी प्रवर्तन निदेशालय (इडी) कर रहा है. मामलों की जांच के सिलसिले में अलग-अलग जगहों पर ईडी की टीम ने छापेमारी की है. उत्तर 24 परगना के संदेशखाली के सरबेड़िया इलाके में तृणमूल कांग्रेस के नेता व व्यवसायी शेख शाहजहां के ठिकाने पर छापेमारी करने गई केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम पर तृणमूल कांग्रेस के नेता के समर्थकों ने हमला कर दिया. इसके बाद राज्य में सियासी घमासान छिड़ गया. सबके मन में यही सवाल है कि शेख शाहजहां है कौन? सूत्रों की मानें, तो राशन वितरण घोटाले में गिरफ्तार मौजूदा वन मंत्री व पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक के करीबियों में से एक माना जानेवाला शाहजहां का संदेशखाली में खासा दबदबा है. वह संदेशखाली में तृणमूल का प्रभावशाली नेता के रूप में जाना जाता है. वह संदेशखाली ब्लॉक-1 में तृणमूल अध्यक्ष होने के साथ ही उत्तर 24 परगना जिला परिषद में मत्स्य व पशु पालन विभाग का कर्माध्यक्ष भी है. संदेशखाली इलाके में ही वर्ष 2011 में करीब साढ़े पांच बीघा में एक बाजार का निर्माण हुआ, जो तृणमूल के इसी नेता के नाम से है. इस बाजार में 100 से ज्यादा स्थायी दुकानें हैं.

2016 में शेख शाहजहां ने बदल लिया था पाला

तृणमूल के सत्ता में आने से पहले वह वाम दल से जुड़ा था. तृणमूल की सरकार बंगाल में बनने के बाद उसने वर्ष 2016 में पाला बदल लिया और तृणमूल में शामिल हो गया. पहले उसे तृणमूल में कोई पद नहीं मिला था, लेकिन धीरे-धीरे वह मंत्री मलिक के करीबियों की सूची में शामिल हो गया और पार्टी में शामिल होने के एक वर्ष बाद ही उसे संदेशखाली ब्लॉक-1 में तृणमूल का अध्यक्ष बना दिया गया. उसके पहले यहां तृणमूल के ब्लॉक अध्यक्ष रंजीत कुमार दास थे. बताया जा रहा है कि गत लोकसभा चुनाव के दौरान संदेशखाली इलाके में उसने पार्टी के सांगठनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, जिसके एवज में उसे गत पंचायत चुनाव तृणमूल ने अपना उम्मीदवार बनाया. चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वह उत्तर 24 परगना जिला परिषद में मत्स्य व पशु पालन विभाग का कर्माध्यक्ष भी बन गया.

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ईंट भट्ठा भी चलाता है शेख शाहजहां

पेशे से वह राशन डीलर के साथ ही कुछ अन्य व्यवसायों से भी जुड़ा है. बशीरहाट में मछली पालन व्यवसाय से जुड़े होने के अलावा उसका इलाके में कई ईंट भट्ठे भी हैं. उस पर कुछ आपराधिक मामलों में शामिल होने के भी आरोप लग चुके हैं. करीब तीन वर्ष पहले संदेशखाली के भांगीपाड़ा इलाके में तृणमूल व भाजपा समर्थकों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हुई थी. भाजपा के स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया था कि घटना के पीछे शाहजहां का हाथ है. हालांकि, तृणमूल ने इस आरोप को आधारहीन करार दिया था. राशन वितरण घोटाले की जांच कर रहे इडी को आशंका है कि भ्रष्टाचार में शाहजहां की भूमिका भी हो सकती है. यही वजह है कि केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी उसके ठिकाने पर जांच के लिए पहुंचे थे.

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क्या है राशन घोटाला

राशन वितरण घोटाला सार्वजनिक वितरण प्रणाली और लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्न वितरण में कथित अनियमितताओं से संबंधित है. वर्ष 2020 में राशन वितरण में भ्रष्टाचार का पहला आरोप लगा था. 2020 से 2022 के बीच नदिया जिले में तीन मामले दर्ज किये गये थे. उसी के आधार पर इडी ने वर्ष 2022 में इसीआइआर दर्ज कर जांच शुरू की, लेकिन 2023 में इस घोटाले के पैमाने व वित्तीय आकार के खुलासे से लोगों को हैरत में डाल दिया. जांच के साथ घोटाले का दायरा एक हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा होता दिखने लगा है. इस मामले में भी तृणमूल कांग्रेस को झटका लगा है. वह ऐसे कि मामले की जांच के तहत इडी ने पूर्व खाद्य मंत्री व मौजूदा वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को गिरफ्तार कर लिया. उनके पहले करीबी माने जाने वाला व्यवसायी बकीबुल रहमान उर्फ बकीबुर भी दबोचा जा चुका है. दोनों ही न्यायिक हिरासत में हैं. हालांकि, गिरफ्तार मंत्री मलिक फिलहाल एसएसकेएम अस्पताल में चिकित्साधीन हैं.

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