24.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Shiv Chalisa: सावन सोमवार के दिन करें शिव चालीसा का पाठ, महादेव की कृपा से दूर होंगे सभी कष्ट

Shiv Chalisa: सावन सोमवार के दिन अगर आप भगवान शिव की आराधना विधि-विधान पूर्वक मन से करते हैं तो जीवन में सभी मनोकामना पूरी होती है. इसके साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से भी मुक्ति मिलेगी.

Shiv Chalisa: सावन का महीना चल रहा है. आज सावन मास का पांचवां सोमवार है. सावन का सोमवार भगवान देवाधिदेव महादेव को समर्पित होता है. सावन सोमवार के दिन अगर आप भगवान शिव की आराधना विधि-विधान पूर्वक मन से करते हैं तो जीवन में सभी मनोकामना पूरी होती है. इसके साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से भी मुक्ति मिलेगी. अगर आप भगवान शंकर की पूजा करते समय शिव चालीसा पढ़ते हैं तो भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. सावन के महीने में शिव चालीसा के पाठ को महत्वपूर्ण माना जाता है.

शिव चालीसा के पाठ करने का नियम

शिव चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान ध्यान करना चाहिए. इसके बाद साफ सुथरा कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में अपना मुंह करके बैठना चाहिए. शिव चालीसा का पाठ शुरू करने के पहले भी का दीपक जलाएं. उसके बाद तांबे के लोटे में साफ जल में गंगा जल मिलाकर रखें. शिव चालीसा के पाठ करने से पहले भगवान गणेश के इस श्लोक का जप करें. उसके बाद शिव चालीसा का पाठ शुरू करें.

शिव चालीसा (Shiv Chalisa)

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

Also Read: Hanuman Chalisa: हर शनिवार को करें हनुमान चालीसा का पाठ, शनि दोष से मिलेगी मुक्ति और सभी कष्ट होंगे दूर

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें