बंगाल की हर छह में से एक किशोरी गर्भवती, राज्य स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

पश्चिम बंगाल की राज्य स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में यह पता चला कि राज्य की हर छह में से एक किशोर गर्भवती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2023 8:43 AM

कोलकाता. राज्य स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल ‘मातृमा’ पर जारी एक रिपोर्ट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की हर छह में से एक गर्भवती किशोरी है. किशोर अवस्था में मां बनना जच्चा व बच्चा दोनों के लिए जोखिम भरा होता है. मृत अवस्था में शिशु का जन्म हो सकता है. एक्लम्पसिया और एनीमिया के कारण मां-बच्चे की जान को भी खतरा होता है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने चिंता जतायी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 में बताया गया है कि बंगाल में 15 से 19 वर्ष की उम्र में शहरी क्षेत्रों में 8.5 और ग्रामीण क्षेत्रों में 19.6 फीसदी लड़कियां मां बन गयी थीं या गर्भवती थीं.

राज्य की 17 फीसदी किशोरियां गर्भवती

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 17 फीसदी किशोरियां गर्भवती हैं, जबकि गर्भवती महिलाओं की संख्या मात्र चार फीसदी है. 18 या 19 साल की उम्र में शादी करना कानून सही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग जच्चा -बच्चा की जान को लेकर जोखिम कम करने के लिए चाहता है कि गर्भावस्था के वक्त मां की उम्र 21 साल हो. विशेषज्ञों का कहना है कि किशोर माताओं को गर्भावस्था के दौरान उच्च स्वास्थ्य जोखिम और प्रसव के दौरान जीवन जोखिम का सामना करना पड़ता है. जबकि इनके बच्चों को जन्म के समय कम वजन, समय से पहले जन्म और अन्य नवजात जटिलताओं का खतरा रहता है.

पिछले साल गर्भ निरोधक का बढ़ा इस्तेमाल

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2022 में राज्य में चार लाख किशोर जोड़े थे. पिछले हफ्ते एक बैठक के दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों को इस वर्ग की काउंसलिंग करने का निर्देश दिया गया. साथ ही जोड़ों को गर्भ निरोधक का उपयोग करने के लिए मनाने को कहा गया. पिछले वर्ष की तुलना में गर्भ निरोधक के उपयोग में 5% की वृद्धि हुई है. जनवरी 2022 में केवल 50% किशोर जोड़े गर्भ निरोधक का उपयोग करते थे. जनवरी 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 55% हो गया.

स्वास्थ्य भवन अब किशोर गर्भावस्था को कम करने के लिए परामर्श के माध्यम से पहल को और जोर देना चाहता है. स्त्री रोग विशेषज्ञ स्नेहमय चौधरी ने कहा, “किशोर गर्भावस्था उच्च रक्तचाप, प्री-एक्लेमप्सिया और प्री-टर्म जन्म सहित कई समस्याएं पैदा करती है. नवजात शिशु का वजन कम हो सकता है और सांस लेने में तकलीफ और पीलिया हो सकता है. नयी माताओं में प्रसव के बाद का अवसाद भी असामान्य नहीं है. यह जरूरी है कि इस मुद्दे पर राज्य भर में जागरूकता बढ़ाई जाये.”

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