21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sholay फिल्म में गब्बर सिंह बनना चाहते थे संजीव कुमार, रमेश सिप्पी की वजह से बनना पड़ा बिना हाथ वाला ‘ठाकुर’

Sanjeev Kumar Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता संजीव कुमार अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने अपनी एक्टिंग से लाखों दर्शकों के दिलों पर राज किया है. हालांकि बहुत कम लोग जानते होंगे कि शोले फिल्म में वह ठाकुर नहीं बल्कि गब्बर सिंह का रोल निभाना चाहते थे.

संजीव कुमार को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से एक के रूप में याद किया जाता है. उनकी जबरदस्त एक्टिंग, बेहतरीन ढंग से डायलॉग्स बोलने का स्टाइल और प्रभावशाली काम ने उन्हें काफी बड़ा बना दिया. अभिनेता का जन्म 9 जुलाई 1938 को सूरत में एक गुजराती परिवार में हुआ था. जब वह बहुत छोटे थे, तो वह मुंबई आ गए. एक फिल्म स्कूल में एक स्टंट ने उन्हें बॉलीवुड तक पहुंचाया, जिसके बाद उन्होंने खूब मेहनत की और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हालांकि साल 1985 में 47 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनके फैंस आज भी उन्हें याद करते हैं. शोले फिल्म में उन्होंने ठाकुर बलदेव सिंह” का किरदार निभाया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि संजीव ये किरदार नहीं निभाना चाहते थे.

गब्बर बनना चाहते थे संजीव कुमार

शोले फिल्म तो लगभग सभी ने देखी होगी. फिल्म की कहानी से लेकर जय-वीरू की दोस्ती और गब्बर सिंह के डायलॉग्स काफी ज्यादा फेमस हैं. गब्बर सिंह जब सांभा को कहते थे, ‘कितने आदमी थे’… मां बच्चों को कहती थी ‘सो जाओ नहीं तो गब्बर आ जाएगा’ डायलॉग ने अमजद खान को अमर बना दिया. ऐसे में क्या आपको पता है कि ठाकुर का आइकॉनिक रोल निभाने वाले संजीव कुमार फिल्म में गब्बर का किरदार निभाना चाहते थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने मेकर्स को कहा था कि वो गब्बर की भूमिका निभाएंगे. हालांकि रमेश सिप्पी को ये बात कतई मंजूर नहीं थी. वह संजीव को ठाकुर की डकैत नहीं बल्कि ठाकुर की तरह देखते थे. जिसके बाद अमजद खान को ये आइकॉनिक रोल मिल गया.

अमजद खान नहीं थे गब्बर सिंह बनने के लिए पहली पसंद

हिंदी सिनेमा के मशहूर लेखक जावेद अख्तर और सलीन खान ने शोले की पूरी कहानी लिखी. इस फिल्म के हर किरदार के दमदार डायलॉग आज भी लोगों के जुबान पर रहते हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो गब्बर सिंह के रोल के लिए जावेद अख्तर की पहली पसंद डैनी डेनजोंगपा थे और उन्हें ये किरदार ऑफर भी की गई थी, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया. डैनी उन दिनों फिरोज खान की फिल्म ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग में बिजी थे जिस वजह से वह ‘शोले’ में काम नहीं कर पाए.

Also Read: Khatron Ke Khiladi 13: स्टंट करते समय अर्चना गौतम के निकले पसीने, हवा में लटक माता रानी को किया याद, VIDEO
संजीव कुमार की फिल्में

उन्होंने दस्तक (1970) और कोशिश (1972) फिल्मों में अपने अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई प्रमुख पुरस्कार जीते. संजीव कुमार को ऐसी भूमिकाएं निभाने में कोई आपत्ति नहीं थी जो गैर-ग्लैमरस हों, जैसे कि उनकी उम्र से कहीं ज़्यादा के किरदार हो. शोले (1975), अर्जुन पंडित (1976) और त्रिशूल (1978), खिलोना (1970), नया दिन नई रात (1974), यही है जिंदगी ( 1977), देवता (1978) और राम तेरे कितने नाम (1985) उनकी बहुमुखी प्रतिभा का उदाहरण हैं. उन्होंने शिकार (1968), उलझन (1975) और तृष्णा (1978) और क़त्ल (1986) जैसी सस्पेंस-थ्रिलर फिल्में भी कीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें