सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण कर अपने पूर्वजों को करें तृप्त, आज सभी पितर ग्रहण कर होते हैं संतुष्ट

Sarva Amavasya 2023: अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करता है. इसलिए इस दिन सभी पूर्वजों के निमित्त भी श्राद्ध करना चाहिए.

By Radheshyam Kushwaha | October 14, 2023 10:12 AM
an image

Sarva Amavasya 2023: अमावस्या पितृपक्ष का अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या होगा. इस दिन पितरों के लिए विशेष अनुष्ठान होगा. सर्वपितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. पितृ पक्ष के 16 दिन तिथि अनुसार श्राद्ध करने के बाद सर्वपितृ अमावस्या के दिन परिवार के उन मृतक सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि और चतुर्दशी तिथि को हुई हो.

सर्वपितृ अमावस्या आज

ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री के अनुसार, अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करता है. इसलिए इस दिन सभी पूर्वजों के निमित्त भी श्राद्ध करना चाहिए. इसके अलावा जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है उनका भी श्राद्ध अमावस्या में किया जाता है. परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु हुई हो, उनके निमित्त भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण किया जा सकता है. ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है.


सर्वपितृ अमावस्या पर शुभ मुहूर्त में करें तर्पण

  • कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि समाप्त: 14 अक्तूबर रात्रि 11:24 बजे

  • उदया तिथि के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को मनायी जायेगी.

  • शुभ मुहूर्त

  • कुतुप मूहूर्त – प्रातः 11:44 से दोपहर 12:30 बजे तक

  • रौहिण मूहूर्त -दोपहर 12:30 से 01:16 बजे तक

  • अपराह्न काल – दोपहर 01:16 बजे से 03:35 बजे तक

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र से मिटेगा संकट

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र सभी तरह के संकटों से मुक्ति के मार्ग दिखाता है. पितृ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाएं और दक्षिण दिशा में मुंह करके ‘गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र’ का पाठ पढ़ें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु का ध्यान करें और पितरों की नाराजगी दूर करने व पितृ दोष को समाप्त करने की प्रार्थना करें. फिर पितरों को मीठे का भोग लगाएं.

अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण कैसे करें?

अमावस्या के दिन काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करने से उनकी कृपा मिलती है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों का तर्पण करना चाहिए. माना जाता है कि इस जल से तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है. इस दिन गाय को हरा पालक खिलाना बहुत शुभ माना जाता है.

Also Read: Surya Grahan: ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान, नहीं पड़ेगा ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव
तर्पण करने की विधि

कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वे संतुष्ट हों और आपको आशीर्वाद दें. जब आप देवताओं के लिए तर्पण करें तो उस समय आप पूर्व दिशा में मुख करके कुश लेकर अक्षत् से तर्पण करें. इसके बाद जौ और कुश लेकर ऋषियों के लिए तर्पण करें.

Exit mobile version