श्रावणी मेला 2022: ‘बोलबम’ का जानें मतलब, कांवर यात्रा के दौरान शिव के इस मंत्र का क्यों होता है जाप?

Shravani Mela 2022: श्रावणी मेला शुरू होने के बाद कांवरियों का जत्था बाबाधाम के लिए निकल चुका है. रोजाना लाखों कांवरिये देवघर निकल रहे हैं. कांवरिया पथ पर बोलबम मंत्र का क्या महत्व है. जानिये...

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2022 2:54 PM

श्रावणी मेला (Shravani Mela 2022) में ‘बोलबम’ चार अक्षरों का एक छोटा, किंतु अद्भुत,धार्मिक एवं आध्यात्मिक मंत्र है. ‘बम’ ओउम का दूसरा रूप है, जो बीज रूप ओम अर्थात ओमकार शिव का ही प्रतीक है. इसलिए तो कष्ट साध्य यात्रा का एक मात्र संबल ‘बोलबम’ होता है.

बिना ‘बोलबम’ बोले देवघर तक नहीं पहुंच पाते कांवरिया

‘बोलबम’ बोल कर श्रद्धालु सुलतानगंज से देवघर तक की यात्रा तय करते हैं. लाखों भक्त श्रावणी मेला में पहुंच रहे हैं. लेकिन कोई भी कांवरिया बिना ‘बोलबम’ बोले देवघर तक नहीं पहुंच पाता है. लाखों लोगों के समवेत ध्वनि से ‘बोलबम’ सिद्ध मंत्र बन गया है.

बोलबम का घोष

बोल बम बोलने वाले पर बाबा अपनी विशेष कृपा प्रकट करते हैं. कांवरिया पथ पर बोलबम का घोष अनवरत गूंजता है. बोलबम से अदृश्य शक्ति कांवरियों को मिलती है, जिससे बाबा दरबार बोलबम के सहारे पहुंच जाते हैं.

Also Read: श्रावणी मेला 2022: कृष्णा बम को जानें, अब हर सोमवारी कांवरिया पथ पर नहीं दिखेंगी, जानें कब करेंगी जलार्पण
140 किलो का आकर्षक कांवर

बारिश नहीं होने से सड़क पर कांवरियों को चलने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. तेज धूप में भी कांवरिया का पैर नहीं रुक रहे हैं. बोल बम का नारा लगाते कांवरिया अनवरत बाबाधाम को जा रहे हैं. कोलकाता से ओम ग्रुप कांवरिया दल शुक्रवार को सुलतानगंज पहुंचा. इसका लगभग 140 किलो का आकर्षक कांवर देखने भीड़ जुट गयी.

36 घंटे में डोली कांवर लेकर जाते कांवरिया

ओम ग्रुप कांवरिया दल के कांवरिये पूजा अर्चना करते हुए देवघर रवाना हुए. एक बार में चार कांवरिया मिलकर कांवर उठाते हैं. दल में 12 सदस्य हैं. ये लोग 36 घंटे में डोली कांवर लेकर देवघर पहुंच जायेंगे. इन्होंने बताया कि चार साल से कांवर लेकर जा रहे हैं.

श्रावणी मेला 2022 का शुभारंभ

बता दें कि श्रावणी मेला 2022 का शुभारंभ हो चुका है. 14 जुलाई से कांवरियों का जत्था बाबानगरी के लिए कूच कर चुका है. रोजाना हजारों-लाखों की तादाद में शिवभक्त कांवर लेकर सुल्तानगंज से बाबानगरी देवघर जा रहे हैं. सावन माह में इस बार कड़कड़ाती धूप का सामना कांवरियों को करना पड़ रहा है लेकिन इसका असर कांवरियों के उत्साह पर नहीं दिख रहा है.

Published By: Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version