श्रावणी मेले की शुरुआत होते ही कांवरिया पथ केसरिया रंग से पट चुका है. सुल्तानगंज से बाबानगरी देवघर की ओर निकले कांवरियों का जत्था कांवरिया पथ पर बोल-बम के जयकारे के साथ चलता दिखाई देने लगा. इस बीच एक कांवर ऐसा है जिसपर जाकर सबकी निगाहें रूक रही है और वो है बिहार के जहानाबाद के रहने वाले एक बेटा पर जो अपने माता-पिता को कंधे पर लेकर निकल पड़े हैं बाबानगरी के लिए. उनकी पत्नी भी इसमें बराबरी से उनका साथ दे रही हैं.
कलयुग के श्रवण कुमार: माता-पिता को कांवर पर बैठाकर बाबाधाम निकले बेटा-बहू.पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें… https://t.co/jUbzvkYozA pic.twitter.com/AL9BuuPKSG
— Rajesh Kumar Ojha (@RajeshK_Ojha) July 18, 2022
कावरिया पथ पर सबकी निगाहें जाकर थम रही हैं रास्ते में चल रहे जहानाबाद के चंदन प्रसाद और रीना देवी पर. चंदन अपने कंधे पर एक लंबी बहंगी लेकर चल रहे हैं और उनके साथ इस बहंगी को दूसरे छोर से उनकी पत्नी रानी देवी ने थामा है. इस बहंगी के दोनों छोर पर दो डाले टांगे गये हैं जिसमें सामने वाले डाले पर चंदन के पिता तो पीछे वाले डाले पर उनकी मां बैठी रहती हैं. चंदन और उनकी पत्नी दोनों को लेकर बाबाधाम जा रहे हैं और पूरी यात्रा को पैदल ही तय करने वाले हैं.
जहानाबाद के रहने वाले चंदन और उनके परिवार पर जिसकी की भी नजर पड़ती है वो वहीं थोड़ी देर के लिए रूक जाता है. चाहे दुकानदार हों, साथ चलते कांवरिये या फिर पुलिसकर्मी, सभी फौरन अपनी मोबाइल में ये दृश्य कैद करने लगते हैं. चंदन की मदद करते हैं और कलयुग के श्रवण भगवान की जय का नारा लगाना शुरू कर देते हैं. चंदन व रानी देवी को उनके बच्चे भी मदद करते दिखते हैं.
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कलयुग में अपने माता-पिता को बहंगी पर बैठाकर सौ किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा करने वाले चंदन कुमार ने बताया कि वो अक्सर सत्यनारायण भगवान की पूजा कराते रहते हैं. अचानक उनके अंदर एक विचार आया कि वो अपने माता-पिता को कंधे पर लेकर बाबाधाम देवघर जाएंगे. इसकी जानकारी उन्होंने गांव के कुछ लोगों को भी दी. ग्रामीणों ने उनसे फिर सोचने को कहा लेकिन चंदन अड़े रहे. माता-पिता को जानकारी मिली तो वो चौंके और मना किया. लेकिन ग्रामीणों ने भी चंदन की बात मान लेने को कहा तो राजी हुए और ये यात्रा शुरू हुई.
Published By: Thakur Shaktilochan