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Chitragupta Puja 2020, Kalam Davat Puja : मनुष्य के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त भगवान की ऐसे की जाती है पूजा, जानें क्या है इसका महत्व

Chitragupta Puja 2020, kalam davat puja 2020, Chitragupta Puja Vidhi, Chitragupta Puja Mantra, Significance of Chitragupta Puja, Yam Dwitiya, Bhai Dooj 2020, Who is Chitragupta, Yam Dwitiya, Bhai Dooj: हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की ​द्वितीया तिथि के दिन चित्रगुप्त पूजा होती है. भाईदूज के दिन श्री चित्रगुप्त जयंती मनाते हैं. इस दिन पर कलम-दवात पूजा (कलम, स्याही और तलवार पूजा) करते हैं जिसमें पेन, कागज और पुस्तकों की पूजा होती है। यह वह दिन है, जब भगवान श्री चित्रगुप्त का उद्भव ब्रह्माजी के द्वारा हुआ था. जो सभी के लेखनी की इच्छा-कामना को सहज ही पूर्ण करते हैं, उनका नाम चित्रगुप्त है. ऐसे तो चित्रांश सहित कितने ही जन देव श्री चित्रगुप्त की नित्य आराधना किया करते हैं. पर हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को इनका वार्षिक उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है.

हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की ​द्वितीया तिथि के दिन चित्रगुप्त पूजा होती है. भाईदूज के दिन श्री चित्रगुप्त जयंती मनाते हैं. इस दिन पर कलम-दवात पूजा (कलम, स्याही और तलवार पूजा) करते हैं जिसमें पेन, कागज और पुस्तकों की पूजा होती है। यह वह दिन है, जब भगवान श्री चित्रगुप्त का उद्भव ब्रह्माजी के द्वारा हुआ था. जो सभी के लेखनी की इच्छा-कामना को सहज ही पूर्ण करते हैं, उनका नाम चित्रगुप्त है. ऐसे तो चित्रांश सहित कितने ही जन देव श्री चित्रगुप्त की नित्य आराधना किया करते हैं. पर हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को इनका वार्षिक उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है.

चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ 16 नवंबर को सुबह 07:06 बजे से हो रहा है, जो 17 नवंबर को तड़के 03:56 बजे तक है. ऐसे में आप चित्रगुप्त पूजा 16 नवंबर को करें. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:45 से दोपहर 02:37 तक है. विजय मुहूर्त दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 तक है. अभिजित मुहूर्त दिन में 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक है. आप इन मुहूर्त में चित्रगुप्त पूजा कर सकते हैं.

चित्रगुप्त पूजा विधि

भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें. उनको अक्षत्, फूल, मिठाई, फल आदि चढ़ा दें. अब एक नई कलम उनको अर्पित करें तथा कलम-दवात की पूजा करें. अब सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिख लें. अब चित्रगुप्त जी से विद्या, बुद्धि तथा लेखन का अशीर्वाद लें.

चित्रगुप्त व्रत कथा

सौदास नाम का एक राजा था. वह एक अन्यायी और अत्याचारी राजा था और उसके नाम पर कोई अच्छा काम नहीं था। एक दिन जब वह अपने राज्य में भटक रहा था तो उसका सामना एक ऐसे ब्राह्मण से हुआ जो पूजा कर रहा था. उनकी जिज्ञासा जगी और उन्होंने पूछा कि वह किसकी पूजा कर रहे हैं. ब्राह्मण ने उत्तर दिया कि आज कार्तिक शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन है और इसलिए मैं यमराज (मृत्यु और धर्म के देवता) और चित्रगुप्त (उनके मुनीम) की पूजा कर रहा हूं, उनकी पूजा नरक से मुक्ति प्रदान करने वाली है और आपके बुरे पापों को कम करती है. यह सुनकर सौदास ने भी अनुष्ठानों का पालन किया और पूजा की.

बाद में जब उनकी मृत्यु हुई तो उन्हें यमराज के पास ले जाया गया और उनके कर्मों की चित्रगुप्त ने जांच की. उन्होंने यमराज को सूचित किया कि यद्यपि राजा पापी है लेकिन उसने पूरी श्रद्धा और अनुष्ठान के साथ यम का पूजन किया है और इसलिए उसे नरक नहीं भेजा जा सकता.इस प्रकार राजा केवल एक दिन के लिए यह पूजा करने से, वह अपने सभी पापों से मुक्त हो गया.

चित्रगुप्त मंत्र:

इस दिन ओम श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का भी जाप करना उत्तम माना जाता है.

श्री चित्रगुप्तजी के 12 पुत्रों का विवाह नागराज वासुकि की 12 कन्याओं से हुआ जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंशी मानी जाती है. माता नंदिनी के 4 पुत्र कश्मीर में जाकर बसे तथा ऐरावती एवं शोभावती के 8 पुत्र गौड़ देश के आसपास बिहार, ओडिशा तथा बंगाल में जा बसे। बंगाल उस समय गौड़ देश कहलाता था.

Posted By: Shaurya Punj

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