शुभांशी की फिल्म ‘नाटोक’ बुसान फिल्म फेस्टिवल में बनी विजेता, इंडो फ्रेंच फेस्टिवल में भी हुआ चयन
साउथ कोरिया में आयोजित बुसान न्यू वेब शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल 2022 में रजरप्पा की शुभांशी चक्रवर्ती द्वारा निर्देशित फिल्म 'नाटोक' विजेता बनी है. वहीं, इंडो फ्रेंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी इसका चयन हुआ है. साढ़े चार मिनट का यह फिल्म छऊ नृतकों पर आधारित है.
Jharkhand News: रामगढ़ जिला अंतर्गत रजरप्पा के शुभाशीष चक्रवर्ती की 15 वर्षीय पुत्री शुभांशी चक्रवर्ती द्वारा निर्देशित फिल्म ‘नाटोक’ का दुनिया भर में तारीफ हो रही है. इसकी फिल्म सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए साउथ कोरिया में आयोजित बुसान न्यू वेब शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल 2022 (New Web Short Film Festival 2022) में विजेता बनी है. शुभाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि ‘नाटोक’ फिल्म का चयन इंडो फ्रेंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी हुआ है.
रजरप्पा की शुभांशी हैं इस फिल्म की डायरेक्टर
जानकारी के अनुसार, फिल्म ‘नाटोक’ को शुभांशी द्वारा निर्देशित (Directed) किया गया है, जबकि कैमरा और संपादन (Editing) का कार्य पार्थ भट्टाचार्य एवं फिल्म का निर्माण एवं लेखन शुभाशीष चक्रवर्ती द्वारा किया गया है. फिल्म ‘नाटोक’ का हिंदी अर्थ ‘नाटक’ है. 04 मिनट 35 सैकेंड का यह फिल्म छऊ नृतकों पर आधारित है.
छऊ नृतकों पर आधारित है फिल्म ‘नाटोक’
इस फिल्म में एक बच्चे के पिता छऊ नर्तक हैं. नृत्य में युद्ध एवं भारतीय पौराणिक कथाओं को चित्रित करता है. लड़के के पिता एक नायक की भूमिका निभाते हैं और राक्षसों का वध करते हैं. इसी से प्रेरणा लेकर वह अपने पिता की नकल करने की कोशिश करता है. इसके पिता जीविका के लिए चाय दुकान में काम करते हैं, लेकिन चाय के दुकान में इसके पिता को मालिक डांटता है. जिससे वह लड़का घबरा जाता है और वह अपने पिता की पहचान को लेकर भ्रम की स्थिति हो जाती है. फिल्म के अंत की ओर एक पंच लाइन के साथ बढ़ जाती है.
Also Read: Chakki Movie Review: कॉमनमैन की कहानी बताती फिल्म…कई मोड़ आपको कर देती है इमोशनलवंचित समुदायों की मदद कर रहे हैं शुभाशीष चक्रवर्ती
मालूम हो कि शुभाशीष चक्रवर्ती पिछले दस वर्षों से अपने वेतन की राशि से भारत में वंचित समुदायों की मदद कर रहे हैं और उन्हें बदलने के लिए कार्य कर रहे हैं. वे सोनाहातू प्रखंड के पंडाडीह गांव को गोद लिए हुए हैं. इस गांव के बच्चों को छऊ नृत्य सीखा रहे हैं. वहीं गांव में पुस्तकालय, औषधीय पौधशाला का निर्माण एवं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में कार्य कर रहे हैं. श्री चक्रवर्ती एक वैश्विक समूह में एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं. वे सामाजिक वैज्ञानिक हैं. वे आदिवासी मामलों के विशेषज्ञ, टेडएक्स स्पीकर, कवि और लघु कथाकार भी हैं.
सामाजिक उत्थान के लिए कार्य करना है : शुभांशी
शुभांशी ने बताया कि मैं अपने पिता के बताये मार्ग पर चलूंगी. सामाजिक उत्थान के लिए कार्य करना मेरा उद्देश्य है. शुभांशी हीरानन्दानी फाउंडेशन स्कूल (एच. एफ. एस), मुंबई में 11वीं कक्षा में अध्ययनरत है.
रिपोर्ट : सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार, रजरप्पा, रामगढ़.