शुभेंदु अधिकारी काे सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट से दो अलग-अलग मामलों में मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले की सुनवाई कलकत्ता हाइकोर्ट में की जायेगी. हाइकोर्ट राज्य की अर्जी पर जल्द सुनवाई करेगा और फैसला सुनाएगा. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देने पर विचार करेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2023 11:52 AM

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को दिये गये संरक्षण को चुनौती देने वाले मामले को वापस कलकत्ता हाइकोर्ट में भेज दिया. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को इस फैसले के साथ कलकत्ता उच्च न्यायालय को मामले की तेजी से सुनवाई करने का आदेश दिया. पिछले दिसंबर में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर 26 एफआइआर पर रोक लगा दी थी. न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने आदेश दिया कि कोई भी उन प्राथमिकियों की जांच आगे नहीं बढ़ा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी.

हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए, राज्य सरकार ने इसके खिलाफ खंडपीठ में याचिका दायर की, लेकिन खंडपीठ ने भी आदेश को बरकरार रखा है. इसके बाद राज्य ने न्यायाधीश राजशेखर मंथा के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्य द्वारा दायर मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले की सुनवाई कलकत्ता हाइकोर्ट में की जायेगी. हाइकोर्ट राज्य की अर्जी पर जल्द सुनवाई करेगा और फैसला सुनाएगा. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देने पर विचार करेगा.

अमित बनर्जी के मानहानि के मामले में शुभेंदु को हाइकोर्ट से राहत

वहीं, तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी के पिता अमित बनर्जी द्वारा किये गये मानहानि के मामले में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को राहत मिली है. उनके खिलाफ तृणमूल अखिल भारतीय महासचिव और सांसद के उम्मीदवार अभिषेक बनर्जी के पिता अमित बनर्जी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था और उस मामले में शुभेंदु को अलीपुर कोर्ट ने पेश होने का आदेश दिया था. उस आदेश को चुनौती देते हुए विपक्ष के नेता ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी. यानी फिलहाल शुभेंदु अधिकारी को अलीपुर कोर्ट में पेश नहीं होना पड़ेगा.

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