Shukra Pradosh Vrat 2022: अक्टूबर माह का पहला प्रदोष व्रत आज यानी 07 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है. शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत को खास महत्व दिया गया है.शुक्रवार का प्रदोष व्रत धन, यश और समृद्धि देने वाला होता है. शुक्रवार को पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को की जाती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सुबह 07 बजकर 26 मिनट पर से शुरू होकर 08 अक्टूबर,शनिवार को सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा का समय शाम को 06 बजे से शुरू होकर रात 08 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत का धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है. ये व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला बताया गया है. इस व्रत को करने वालों को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. ये व्रत अखंड सौभाग्य में वृद्धि करता है. दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. संतान योग्य बनती है. घर का वास्तु दोष भी दूर होती है.
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शुक्र प्रदोष व्रत करने के लिए त्रयोदशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं.
स्नानादि से निवृत होने के बाद साफ हल्के सफेद या गुलाबी कपड़े पहनें और शुक्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें. -
उसके बाद बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें.
इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है, इसीलिए निराहार रहें और केवल जल का सेवन करें. -
पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले दोबारा से स्नान करें.
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शाम के समय प्रदोष काल मे उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं और भगवान शिव को जल से स्न्नान कराकर रोली, मौली, चावल ,धूप, दीप से पूजा करें. भगवान शिव को चावल की खीर और फल अर्पण करें.
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अंत में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें और अपने सभी परेशानियों को दूर करने के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करें.
प्रदोष व्रत का अलग-अलग दिन के अनुसार अलग-अलग महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन यह व्रत आता है उसके अनुसार इसका नाम और इसके महत्व बदल जाते हैं.
अलग-अलग वार के अनुसार प्रदोष व्रत के निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते है-
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जो उपासक रविवार को प्रदोष व्रत रखते हैं, उनकी आयु में वृद्धि होती है अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.
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सोमवार के दिन के प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है और इसे मनोकामनायों की पूर्ती करने के लिए किया जाता है.
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जो प्रदोष व्रत मंगलवार को रखे जाते हैं उनको भौम प्रदोषम कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती.
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बुधवार के दिन इस व्रत को करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है.
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बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है.
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वो लोग जो शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं, उनके जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है.
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शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता है और लोग इस दिन संतान प्राप्ति की चाह में यह व्रत करते हैं. अपनी इच्छाओं को ध्यान में रख कर प्रदोष व्रत करने से फल की प्राप्ति निश्चित हीं होती है.