8 बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्याम बेनेगल की दोनों किडनी खराब, घर पर हो रही है डायलिसिस
रिपोर्ट के अनुसार, श्याम बेनेगल का घर पर डायलिसिस भी चल रहा है और चिकित्सकीय निगरानी में हैं. यह बताया गया है कि प्रख्यात फिल्म निर्माता के कर्मचारियों ने कहा कि श्याम पहले से ठीक थे, लेकिन हाल के दिनों में वह अपने कार्यालय भी नहीं जा पाए हैं.
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्याम बेनेगल कथित तौर पर घर पर डायलिसिस से गुजर रहे हैं क्योंकि उनकी दोनों किडनी फेल हो गई हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, 88 वर्षीय निर्देशक का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है और वो इस प्रक्रिया के लिए अस्पताल जाने में असमर्थ हैं. टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, मंडी के निर्देशक श्याम बेनेगल की कुछ समय से तबीयत ठीक नहीं है और उन्हें घर पर आराम करने की सलाह दी गई है.
श्याम बेनेगल का घर पर डायलिसिस चल रहा है
रिपोर्ट के अनुसार, श्याम बेनेगल का घर पर डायलिसिस भी चल रहा है और चिकित्सकीय निगरानी में हैं. यह बताया गया है कि प्रख्यात फिल्म निर्माता के कर्मचारियों ने कहा कि श्याम पहले से ठीक थे, लेकिन हाल के दिनों में वह अपने कार्यालय भी नहीं जा पाए हैं.
इस फिल्म की तैयारी कर रहे थे श्याम बेनेगल
यह भी दावा किया गया है कि वह अपने आनेवाले प्रोजेक्ट्स की योजना बनाने की प्रक्रिया में थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, श्याम बेनेगल मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन नामक एक फिल्म की तैयारी के बीच में थे. यह फिल्म बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान के जीवन पर आधारित बताई जा रही है.
8 बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं श्याम बेनेगल
फेडरेशन ऑफ फिल्म सोसाइटीज ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्याम बेनेगल अपने बैनर सह्याद्री फिल्म्स के तहत फिल्में बना रहे हैं. निर्देशक ने अपने करियर में आठ राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं. उनका पहला राष्ट्रीय पुरस्कार उनकी फिल्म अंकुर (1974) के लिए था जिसमें शबाना आज़मी और अनंत नाग की पहली फिल्म थी. उन्होंने निशांत (1975), मंथन (1976), भूमिका: द रोल (1977), जूनून (1978), आरोहण (1982), नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2004), अब्बा (2010)और वेल डन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीते.
Also Read: सतीश कौशिक की डिटेल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार का रही पुलिस, फार्महाउस से बरामद हुई कुछ दवाएं
दादा साहब फाल्के से भी सम्मानित हैं निर्देशक
श्याम को राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के अलावा कुछ सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है. इनमें 1976 में पद्म श्री, 1991 में पद्म भूषण और 2005 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं. श्याम बेनेगल फिल्म निर्माण के अलावा अपने लेखन कार्य के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने तीन लोकप्रिय पुस्तकें, द चर्निंग विद विजय तेंदुलकर (1984), सत्यजीत रे (1988), और द मार्केटप्लेस (1989) लिखी है.