सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित करने के विरोध में गिरिडीह में निकाला जायेगा मौन जुलूस, सौंपेंगे ज्ञापन
सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित करने के खिलाफ गुरुवार को दोपहर एक बजे गिरिडीह दिगंबर जैन मंदिर से मौन जुलूस निकाला जायेगा. और गिरिडीह के उपायुक्त को मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा जायेगा.
Giridih News: दिगंबर जैन पंचायत के बैनर तले सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित करने के खिलाफ मौन जुलूस निकालने की सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. आज यानी की 05 जनवरी को शिखर जी को तीर्थस्थल घोषित करने की मांग का समर्थन करने वाले लोग एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगे और मौन जुलूस भी निकालेंगे. इस बाबत दिगंबर जैन पंचायत ने दिगंबर जैन मंदिर में एक प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन बुधवार की शाम को किया और कहा कि जैन तीर्थंकरों की तपोभूमि को पर्यटक स्थल घोषित कर जैन धर्म की भावना के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष रमेश साह ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार को जैनियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल पारसनाथ को पर्यटक स्थल घोषित करने वाली अधिसूचना को वापस लेना चाहिए और अविलंब शिखर जी को तीर्थस्थल घोषित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्यटक स्थल बनाने की योजना को धरातल पर उतारा गया तो तीर्थस्थल मौज मस्ती की जगह बन जायेगी. दिगंबर जैन पंचायत के पूर्व मंत्री विजय सेठी ने कहा कि यदि शिखर जी को पर्यटक स्थल बनाया गया तो जैनियों का इस धार्मिक स्थल की पवित्रता भंग होगी. उन्होंने कहा कि पर्यटक स्थल बनाने के विरोध में दिगंबर जैन पंचायत गुरूवार को गिरिडीह शहर में मौन जुलूस निकालेगा और गिरिडीह के उपायुक्त को मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपेगा.
कहा कि दिन में एक बजे दिगंबर जैन मंदिर में सभी लोग एकत्रित होंगे और फिर शहर के विभिन्न मार्गों में मौन जुलूस निकाला जायेगा. महिला जैन समाज की मंत्री मंजू जैन ने कहा कि सरकार तीर्थकरों की मोक्ष स्थल को सुरक्षा प्रदान करे. पर्यटक स्थल के निर्णय को वापस ले और शिखर जी को तीर्थस्थल घोषित कर जैन धर्म की इस पवित्र स्थल की पवित्रता को बनाये रखे. इस प्रेस कान्फ्रेंस में पंचायत के मंत्री लोकेश सेठी, प्रदीप अग्रवाल, दिनेश खेतान, अजय जैन, राजेश जैन, महेश जैन, हेमलता जैन, सरोज जैन, रश्मि जैन समेत कई लोग उपस्थित थे.
पारसनाथ अभयारण्य क्षेत्र के प्रबंध महायोजना के प्रावधानों में संशोधन की जरूरत : सांसद
गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा है कि पारसनाथ अभयारण्य क्षेत्र के प्रबंधन महायोजना में कुछ प्रावधानों को संशोधित करने की जरूरत है. उन्होंने इस संबंध में केंद्र सरकार के केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को एक पत्र लिखकर कहा है कि इको सेंसिटिव जोन के कई बिंदुओं को संशोधित करने की आवश्यकता है. कहा कि गिरिडीह में स्थित पारसनाथ पहाड़ जैन धर्म के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है. केंद्रीय वन मंत्रालय ने वर्ष 2019 में पारसनाथ पहाड़ के तलहटी को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया है. इस अधिसूचना को जारी करने के पूर्व जैन समुदाय से कोई विचार-विमर्श व सुझाव नहीं लिया गया एवं गजट नोटिफिकेशन को राष्ट्रीय अखबार या स्थानीय अखबार में भी प्रकाशित नहीं किया गया. जिसके कारण जैन समुदाय इस नोटिफिकेशन से अनभिज्ञ रहे.
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उन्होंने कहा कि श्री सम्मेद शिखर जी में जैन धर्म के बीस तीर्थंकर ने मोक्ष प्राप्त किया है. इस पहाड़ पर जैन समाज के अनुयायी धार्मिक आस्था व पवित्रता का पालन करते हुए नंगे पांव शुद्ध वस्त्र पहनकर 27 किमी की पैदल यात्रा कर वंदना करते हैं. ऐसे में हमें जैन समाज की धार्मिक आस्था, पवित्रता एवं उनकी गरिमा का ध्यान रखते हुए इसे सर्वोच्च तीर्थस्थल बनाने की आवश्यकता है. कहा कि इसके लिए सरकार को कुछ बिंदुओं पर कदम उठाने की आवश्यकता है. पारसनाथ पर्वत एवं मधुबन क्षेत्र को अन्य धार्मिक स्थलों जैसे काशी, विश्वनाथ, अयोध्या, मथुरा, वैष्णो देवी आदि की तरह पांच किमी की घेरे में शराब, मांस से मुक्त क्षेत्र घोषित करना चाहिए.
अधिसूचना में वर्णित इको टूरिज्म जोन के स्थान पर पवित्रतम शिखर जी को धार्मिक व अध्यात्मिक केंद्र के रूप में पुन: स्थापित करना चाहिए. जैन धर्म की परंपरा और उनके रीति-रिवाज के अनुसार ही पर्वत राज पर दर्शन, पूजन एवं भ्रमण की व्यवस्था होनी चाहिए. शिखर जी के प्रबंधन को लेकर बनाये जाने वाले प्रबंध समितियों में जैन समाज का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए. जैन तीर्थयात्री मध्य रात्रि के बाद पर्वत में प्रवेश करते हैं और तीर्थ यात्रा अगले दिन शाम चार बजे तक पूर्ण करते हैं. ऐसे में यात्रियों को केवल दिन में ही भ्रमण के निर्देशों से मुक्त किया जाना चाहिए.
सम्मेद शिखर जी जैन मुनियों के लिए अत्यंत पवित्र है. कई जैनियों ने यहां तपस्या कर मोक्ष की प्राप्ति की है. फलस्वरूप यह पर्वत पूजनीय है. इसे पर्यटक स्थल घोषित करने का निर्णय का आरएसएस भी विरोध करता है. जैनियों के इस आंदोलन में हमारे स्वयंसेवक भी रहेंगे.
-मुकेश रंजन, कार्यवाह, आरएसएस, हजारीबाग प्रमंडल
झारखंड सरकार और केंद्र सरकार द्वारा पारसनाथ पर्वत को पर्यटक स्थल घोषित किया जाना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार इस निर्णय को अविलंब वापस ले. पर्यटक स्थल बना तो पर्वत पर कई कार्य ऐसे होंगे जिससे धार्मिक भावना को ठेस पहुंचेगी. सरकार इसे तीर्थस्थल घोषित करे.
-बृजनंदन साव, जिला संघचालक, आरएसएस, गिरिडीह
पारसनाथ पर्वत जैनियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. इसकी पवित्रता बनाये रखना जरूरी है और सरकार को भी इसपर ध्यान देना चाहिए. शिखर जी को तीर्थस्थल घोषित करना चाहिए और पर्यटक स्थल घोषित करने की अधिसूचना को अविलंब रद्द करना चाहिए.
-रामकिशोर शरण, अध्यक्ष, विहिप
जब से यह संज्ञान में आया है कि शिखर जी को पर्यटक स्थल घोषित किया है, बजरंग दल इसका विरोध कर रहा है. यह जैन धर्म के लिए अंतरराष्ट्रीय तीर्थस्थल है. इसकी पवित्रता बनाये रखने के लिए राज्य और केंद्र सरकार इसे तीर्थस्थल घोषित करे. अन्यथा बजरंग दल आंदोलन तेज करने पर विचार करेगा.
-रीतेश पांडेय, जिलाध्यक्ष, बजरंग दल
किसी भी धर्म की आस्था व पवित्रता बनी रहे, इसके लिए सरकार को गंभीरता से चिंतन करना चाहिए और आवश्यक पहल करनी चाहिए. श्री सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल बनाने की अधिसूचना सरकार वापस ले. शिखरजी को तीर्थस्थल घोषित करने की मांग के समर्थन में जैनियों के आंदोलन को चैंबर भी समर्थन देगा.
-निर्मल झुनझुनवाला, जिलाध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स, गिरिडीह
धार्मिक आस्था के साथ छेड़छाड़ किसी भी स्थिति में उचित नहीं है. शिखर जी को पर्यटक स्थल बनाये जाने से वहां की पवित्रता खतरे में पड़ जायेगी. सरकार इस गलत फैसले को अविलंब वापस ले. इस मामले में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से शीघ्र ही मिलेगा. जैनियों के आंदोलन में फेडरेशन के भी पदाधिकारी रहेंगे.
-प्रदीप अग्रवाल, फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर
रिपोर्ट : राकेश सिन्हा, गिरिडीह