Bengal Election 2021: टाटा को बाहर का रास्ता दिखाने के 13 साल बाद अब औद्योगिकीकरण चाहता है सिंगूर, पढ़ें Special Story

Bengal news in Hindi: किसान आंदोलन के जरिये टाटा को नैनो कार परियोजना हटाने के लिए मजबूर कर भारतीय राजनीति के मानचित्र पर लाये गये सिंगूर में अब 13 साल बाद औद्योगिकीकरण मुख्य चुनावी मुद्दा बन गया है, क्योंकि जिस जमीन को लेकर इतना संघर्ष हुआ था वह अब बंजर पड़ी हुई है. नंदीग्राम के साथ सिंगूर वही जगह है, जिसने 34 साल के वाम मोर्चा के शक्तिशाली शासन की नींव हिला दी थी और 2011 में ममता बनर्जी को सत्ता सौंपी थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2021 3:46 PM
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सिंगूर: किसान आंदोलन के जरिये टाटा को नैनो कार परियोजना हटाने के लिए मजबूर कर भारतीय राजनीति के मानचित्र पर लाये गये सिंगूर में अब 13 साल बाद औद्योगिकीकरण मुख्य चुनावी मुद्दा बन गया है, क्योंकि जिस जमीन को लेकर इतना संघर्ष हुआ था वह अब बंजर पड़ी हुई है. नंदीग्राम के साथ सिंगूर वही जगह है, जिसने 34 साल के वाम मोर्चा के शक्तिशाली शासन की नींव हिला दी थी और 2011 में ममता बनर्जी को सत्ता सौंपी थी.

सिंगूर में चुनावी समर का नया खाका तैयार हो रहा है, जहां तृणमूल के मौजूदा विधायक एवं भूमि अधिग्रहण विरोधी प्रदर्शनों का मुख्य चेहरा रहे रवींद्रनाथ भट्टाचार्य, भाजपा का दामन थाम चुके हैं. सत्तारूढ़ पार्टी ने श्री भट्टाचार्य के पूर्व सहयोगी, बेचाराम मन्ना को इस सीट से उतारा है. टाटा परियोजना के लिए शुरुआत में अधिगृहित जमीनों को जिन किसानों को वापस कर दिया गया था, वे अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी दान और छोटी-मोटी नौकरियों पर निर्भर हैं. इनमें से कई ठगा महसूस करते हैं क्योंकि तृणमूल सरकार उनकी बंजर जमीनों को खेती योग्य बनाने का वादा पूरा करने में विफल रही है.

विडंबना यह है कि तृणमूल और भाजपा, दोनों ने ही स्थानीय लोगों की भावनाओं को भांपते हुए इस चुनाव में सिंगूर में औद्योगीकरण का वादा किया है जहां ‘मास्टर मोशाई’ के नाम से प्रसिद्ध 89 वर्षीय भट्टाचार्य और तृणमूल प्रत्याशी मन्ना, इस मुद्दे पर इलाके में वाक् युद्ध कर रहे हैं. वहीं माकपा के युवा प्रत्याशी, सृजन भट्टाचार्य को उम्मीद है कि इस सीट से जीत उन्हीं की होगी, क्योंकि यहां उनकी पार्टी अपनी खोई हुई जमीन को पाने की भरसक कोशिश कर रही है.

ममता बनर्जी के सिंगूर आंदोलन के अगुआ रहे रवींद्रनाथ भट्टाचार्य ने कहा, “हम कभी उद्योग के खिलाफ नहीं रहे, हम जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ थे. कुछ कारणों से चीजें नियंत्रण से बाहर थीं. अगर भाजपा सत्ता में आती है तो हम क्षेत्र में निवेश लायेंगे.” निर्वाचन क्षेत्र में तृणमूल का झंडा बुलंद रखने की कोशिश में जुटे मन्ना का कहना है कि इस क्षेत्र के लिए कृषि आधारित उद्योग बेहतर होंगे. उन्होंने दावा किया, “कुछ कृषि आधारित उद्योग, पहले ही सिंगूर आ चुके हैं. तृणमूल सरकार निकट भविष्य में इस क्षेत्र को कृषि उद्योगों के बड़े केंद्र में बदलने का प्रयास कर रही है.” तेज- तर्रार छात्र नेता, 28 वर्षीय सृजन ने श्री भट्टाचार्य और बेचाराम मन्ना पर कटाक्ष करते हुए कहा कि तृणमूल और भाजपा, वही दोहरा रही है जो 15 साल पहले वाम मोर्चा ने किया था.

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Posted by: Aditi Singh

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