साहेब, गांव में पक्की सड़क बनवा दीजिए, 10 दिन से बाजार नहीं जा सके हैं, इटखोरी की बुजुर्ग महिला समेत अन्य ग्रामीण प्रशासन से लगा रहे गुहार
Jharkhand News (इटखोरी, चतरा) : झारखंड के चतरा जिला में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. कच्चा से लेकर पक्का मकान से पानी टपकने लगा है. सबसे नरकीय स्थित में टोनाटांड़ पंचायत के पृथ्वीपुर गांव के लोग रह रहे हैं. बारिश ने पृथ्वीपुर गांव के लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है. लोग एक सप्ताह से गांव से बाहर नहीं निकल सके हैं.
Jharkhand News (इटखोरी, चतरा) : झारखंड के चतरा जिला में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. कच्चा से लेकर पक्का मकान से पानी टपकने लगा है. सबसे नरकीय स्थित में टोनाटांड़ पंचायत के पृथ्वीपुर गांव के लोग रह रहे हैं. बारिश ने पृथ्वीपुर गांव के लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है. लोग एक सप्ताह से गांव से बाहर नहीं निकल सके हैं.
समुचित रास्ता नहीं होने के कारण लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं. गर्भवती महिला खटिया पर पड़ी है. अस्पताल आने का कोई साधन नहीं है. एक तरफ वन विभाग का क्षेत्र, तो दूसरी तरफ मोहाने नदी उफान पर है. गर्भवती राजदा खातून गर्भवती है और उसे अस्पताल जाने की चिंता है. ऐसी ही परेशानी सभी ग्रामीणों के बीच है.
गांव की बुजुर्ग महिला गफुरनी खातून कहती हैं कि साहेब किसी तरह से गांव में आने का सड़क बनवा दीजिये. 10 दिन से इटखोरी बाजार नहीं जा सके हैं. कच्चा रास्ता होने के कारण घर से निकलना मुश्किल हो गया है. रविवार को नवविवाहित दुल्हन को गोद में बैठाकर कर घर लाये थे.
Also Read: दुमका के चिचरो गांव में सड़क नहीं, मरीजों को खटिये पर ढोकर एंबुलेंस तक पहुंचाते हैं ग्रामीण गर्भवती हूं और डिलिवरी की चिंता : राजदा खातूनखटिया पर सोयी गर्भवती राजदा खातून ने कहा कि सड़क के अभाव में अस्पताल नहीं जा पा रही हूं. मेरे गर्भ का नौ माह पूरा हो गया है. अब मैं और मेरे परिवार के सदस्य इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बारिश में अस्पताल कैसे जायेंगे. वन विभाग की ओर जंगल के क्षेत्र में कई जगहों पर गड्ढा खोदकर रास्ता बाधित कर दिया है. अल्लाह का नाम लेकर घर में हूं.
सड़क नहीं होने के कारण बारिश में गांव में ही हो जाते हैं कैद : जुलेखा खातूनजुलेखा खातून ने कहा कि लगातार बरसात के कारण एक सप्ताह से घर से नहीं निकले हैं. इटखोरी बाजार जाने के लिए सोचना पड़ रहा है. बीमार आदमी को खटिया पर बैठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. एक तरफ जंगल है, तो दूसरी तरफ मोहाने नदी है. हमलोग गांव में कैद हो गये हैं. जबतक धूप नहीं निकलेगा तब तक घर से निकलना मुश्किल है.
अन्य ग्रामीणों की भी समस्याबेबी खातून ने कहा कि रास्ता नहीं होने के कारण घर- गांव से निकलना मुश्किल हो गया है. एक सप्ताह से इटखोरी बाजार नहीं जा सकी हूं. वहीं, मोहम्मद एजाजुल ने कहा कि लगातार बारिश के कारण गांव से निकलना मुश्किल हो गया है. 20 दिन का राशन खरीदकर रख लिए हैं. रास्ता नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मोहम्मद इसराइल ने कहा कि हमलोग नरक की जिंदगी जी रहे हैं. न तो मैय्यत ले जाने के लिए रास्ता है और न ही दुल्हन को गांव में गाड़ी से ला सकते हैं. एक तरफ उफान मारता मोहाने नदी है, तो तीन दिशाओं में जंगल है. गर्भवती हो या नयी नवेली दुल्हन सभी को खटिया पर बैठाकर लाते हैं.
Posted By : Samir Ranjan.