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Air Pollution : देश में वायु प्रदूषण के मामले में टॉप पर सीवान, लोगों की सेहत को हो रहा नुकसान

सिवान जिले में वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी है. जहरीली हवा के आगोश में शहरी आबादी जीवन व मौत के बीच जूझ रही है. वहीं प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता बरती जा रही है. आलम यह है कि शहर के लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जवाबदेह नगर पर्षद वायु की गुणवत्ता सुधार के प्रति सजग नहीं है.

सीवान जिले में वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है. हर दिन स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. आये दिन जहरीली हवा के मामले में रिकॉर्ड टूट रहा है. आलम यह है कि देश में वायु प्रदूषण के मामले में टॉप पर सीवान जिला का चित्रगुप्त नगर है. यहां का एक्यूआई 460 के आस पास है. हालत यह है कि अब सड़क पर निकलने पर आंखों में जलन महसूस हो रही है. विशेषज्ञाें के मुताबिक अब बारिश या तेज हवा चलने पर ही प्रदूषण से राहत मिलेगी. चिकित्सकों का कहना है कि इस विषम परिस्थिति में प्रदूषण के संकट से निबटने के लिए मास्क जरूरी हो गया है. हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड बढ़ने के कारण पीएम 2.5 लेवल बढ़ गया है. इससे आंखों में जलन महसूस हो रही है. ऐसे में एलर्जी, दमा, हृदय सहित अन्य रोगाें के मरीजों को अधिक नुकसान पहुंच सकता है.

प्रदूषण के खतरे को रोकने के लिए हो रही तैयारी

शहर में बढ़ रहे प्रदूषण के खतरे को रोकने के लिए अब राज्य मुख्यालय स्तर से तैयारी की जा रही है. इसके लिए नगर परिषद के लिए गाइडलाइन जारी किया गया है. शहर में अब कोयला चुल्हा का प्रयोग करने वाले होटलों व चाय-नास्ता की दुकानों पर रोक लगेगी. इसके अलावा खुले में रोड के किनारे बिना ढंके बालू व मिट्टी रखने वालों पर भी कार्रवाई होगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दिनों वीसी के माध्यम से नगर निकायों के संबंधित अधिकारियों को मुख्यालय द्वारा निर्देश जारी किया गया है. हालांकि नगर परिषद द्वारा अभी रोड के किनारे से पानी छिड़काव का काम कराया जा रहा है. नगर पर्षद से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदूषण को कम करने के लिए मुख्यालय स्तर से कई महत्वपूर्ण निर्देश दिये गये हैं. जिस पर कार्रवाई की दिशा में पहल शुरू कर दी गयी है. शहर में कई होटल व छोटे- बड़े चाय नाश्ते की दुकानों में अभी भी कोयला के चुल्हा का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन सभी दुकानों को पहले अल्टीमेटम दिया जायेगा. इसके बाद भी अगर बात नहीं बनी तो कार्रवाई होगी. इसके अलावा भी कई गाइडलाइन जारी किया है.

कूड़े के ढेर से निकल रहे धुएं से पर्यावरण हो रहा प्रदूषित

वायु प्रदूषण के मामले में जिले की स्थिति लगातार खराब हो रही है. वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. जहरीली हवा के आगोश में शहरी आबादी जीवन व मौत के बीच जूझ रही है. वहीं प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता बरती जा रही है. आलम यह है कि शहर के लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जवाबदेह नगर पर्षद वायु की गुणवत्ता सुधार के प्रति सजग नहीं है. तभी तो शहर से निकले कूड़े के ढेर में आग लगाकर छोड़ दी जा रही है. कूड़े के ढेर से निकल रहा धुआं लोगों के जीवन को संकट में डाल रहा है. गुरुवार की अहले सुबह प्रभात खबर की टीम ने नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र का मुआयना किया. इस मुआयने में जो तस्वीर दिखी वह वायु प्रदूषण की भयावहता को उजागर कर रही है. जीरादेई के विजयीपुर मोड़ के पास सड़क के किनारे कूड़े की डंपिंग की जा रही है. इस कूड़े के ढेर में लोगों द्वारा आग लगा दी गयी है. आलम यह है इस परिक्षेत्र के आसपास धुंध दिखायी दे रहा है. धुंध में सांस लेना भी नामुमकिन है. अगर स्थिति व रवैया में सुधार नहीं किया गया तो यह जहरीली हवा मानव आबादी के लिए संकट उत्पन्न कर देगी.

वाहनों का होगा प्रदूषण जांच

सभी सरकारी वाहनों के प्रदूषण की भी जांच होगी. इस संबंध में नगर पर्षद द्वारा जिला परिवहन कार्यालय से संपर्क किया जा रहा है. नगर पर्षद में चल रहे वाहनों कि भी जांच होगी, इन सभी वाहनों का समय 15 साल से अधिक नहीं हुआ है. फिर भी गाइडलाइन के अनुसार प्रदूषण की जांच करायी जायेगी. इसके अलावा अन्य सभी सरकारी वाहनों की जांच के लिए भी जिला स्तर से निर्देश जारी कि गयी हैं.

प्रदूषण कंट्रोल पर चल रहा काम

देखा जाये तो सबसे पहले प्रदूषण कंट्रोल पर काम किया जा रहा है. शहर की हवा प्रदूषित होती जा रही है. हर दिन एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में उतार-चढ़ाव हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण धुलकण है. इसलिए नये प्रतिनियुक्त सफाई कर्मियों को सबसे पहले सड़क के किनारे जमे धुल को हटाने का निर्देश दिया गया है. ताकि ज्यादा धुलकण हवा में नहीं उड़े. नप के इस प्रयास से उम्मीद है कि प्रदूषण पर काफी हद तक नियंत्रण होगा.

सड़कों पर गिराया जा रहा हैं पानी

शहर की हवा ज्यादा प्रदूषित खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने के बाद नगर पर्षद पूरी तरह एक्शन में आ गया है. हवा में धुलकण की मात्रा को कम करने के लिए सड़कों पर लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है. खासकर कंस्ट्रक्शन साइटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. प्रदूषण कम करने के लिए की जा रही इस कवायद का बेहतर परिणाम भी दिखेगा.

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