समस्तीपुर : पड़ोसी देश के लोगों की परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके, इसके लिये रेलवे अपनी भूमिका को बखूबी निभा रहा है. इस कड़ी में देश से ऐसे 10 डीजल इंजनों को बांग्लादेश को सुपुर्द किया जायेगा. जिसमें छह डीजल इंजन समस्तीपुर रेलमंडल के भी शामिल हैं. इसके अलावा विशाखापट्टनम मंडल व ईस्टर्न रेलवे की ओर से भी दो-दो इंजन भेजा जा रहा है. जानकारी के अनुसार 10 में से 4 इंजनों को बंगलादेश को सुपुर्द कर दिया गया है. समस्तीपुर रेल मंडल से इन इंजनों की सीधी सुपुर्दगी नहीं होगी.
समस्तीपुर रेल मंडल की ओर से इन इंजनों को विगत दिनों सियालदह शेड भेजा गया है. जहां से इसे बंगलादेश भेजा जायेगा. शेष इंजनों को भी सियालदह शेड ही भेजा गया है. जहां इसे इसकी आगे की प्रक्रिया को पूरा की जायेगी. निर्यात किये जाने वाले सभी रेल इंजन डब्लुडीएम 3 मॉडल के एल्को वर्जन के हैं. यह इंजन डीजल से परिचालित किये जाते हैं. इसके अलावा इनकी क्षमता 33 हजार हार्स पावर की होती है. जिससे यह काफी कारगर साबित होता है. इन रेल इंजनों का उपयोग पहले रेल मंडल अपने यहां मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के परिचालन में करता था. औसतन 7 से लेकर 10 साल तक इन इंजनों का उपयोग ट्रेनों के परिचालन में किया जा चुका है.
इस बीच, समस्तीपुर रेलवे स्टेशन व रेल पटरियों पर लगे उपकरण के सहारे 2 मीटर की दूरी से ही कोच की पहचान हो जायेगी. रेलवे की ओर से रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग प्रणाली का उपयोग कर डब्बों की निगारानी की जायेगी. अभी जहां पूरी कागजी प्रणाली के सहारे ही डब्बों की निगरानी होती है. वहीं जीपीएस की मदद से इस तकनीक के सहारे बेहतर निगरानी प्रणाली स्थापित की जा सकेगी. इस बावत जानकारी देते हुये पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि रेलवे ने दिसंबर 2022 तक अपने सभी डिब्बों में आरएफआईडी टैग लगाने की योजना बनाई है. जिसके माध्यम से रेल डिब्बे जहां कहीं भी हों उनका पता लगाया जा सकता है.
बताया गया है कि आरएफआईडी टैग प्रणाली शुरू हो जाने से माल डिब्बों, यात्री डिब्बों और इंजंनों की कमी की समस्या को तेजी के साथ अधिक पारदर्शी तरीके से सुलझाने में मदद मिल सकेगी. वर्तमान में भारतीय रेलवे अपने सभी रेल डिब्बों की जानकारी लिखित रूप में रखती है जिसमें त्रुटियों की काफी गुंजाइश बनी रहती है. ऐसे में रेलवे के लिए आरएफआईडी टैग से अपने सभी डिब्बों और इंजनों की सही स्थिति जानना आसान हो जाएगा. इसे कारगर बनाने के लिये उपकरण रेलवे स्टेशनों और रेल पटरियों के पास प्रमुख स्थानों पर लगाए जायेंगे जो डिब्बो पर लगे टैग को दो मीटर की दूरी से ही पढ़ लेंगे और डिब्बे की पहचान कर उससे संबंधित आंकड़ों को केन्द्रीय कंप्यूटरीकृत प्रणाली तक पहुंचा देंगे. इससे प्रत्येक डिब्बे की पहचान की जा सकेगी और वह डिब्बा जहां कहीं भी होगा उसका पता लगाया जा सकेगा.
posted by ashish jha