सिविल इंजीनयरिंग की पढ़ाई करके नौकरी के लिए भटक रहे हूल क्रांति के महानायक सिदो कान्हू के वंशज
sixth generation of sidho kanhu is waiting for job after having degree of civil engineering : हूल क्रांति के महानायक शहीद सिदो कान्हू के वंशज इन दिनों नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. सिदो कान्हू के छठे वंसज मंडल मुर्मू तीन साल से प्रदेश की सरकार सहित अधिकारियों से मिल रहे हैं और उनकी योग्यता के अनुरूप नौकरी देने के लिए ज्ञापन सौंप रहे हैं. हर बार हूल के महानायक शहीद सिदो कान्हू के इस वंशज को सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.
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साहिबगंज : हूल क्रांति के महानायक शहीद सिदो कान्हू के वंशज इन दिनों नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. सिदो कान्हू के छठे वंसज मंडल मुर्मू तीन साल से प्रदेश की सरकार सहित अधिकारियों से मिल रहे हैं और उनकी योग्यता के अनुरूप नौकरी देने के लिए ज्ञापन सौंप रहे हैं. हर बार हूल के महानायक शहीद सिदो कान्हू के इस वंशज को सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.
मंडल मुर्मू सिदो कान्हू के वंशजों में सबसे अधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं. उन्होंने रांची जिला के सिल्ली के टेक्नो इंडिया से सत्र 2013-16 में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. तीन वर्ष का डिप्लोमा कोर्स किया है. सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलकर ज्ञापन सौंपकर नौकरी की मांग की थी.
वही पढ़ाई पूरी किये तीन साल बीत गये. इस दरम्यान मंडल मुर्मू मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री व अधिकारियों को ज्ञापन देकर योग्यता के अनुसार जॉब देने की बात कही. हर बार मंडल मुर्मू को सिर्फ आश्वासन ही मिला.
मंडल मुर्मू की शिक्षा का दायित्व आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने उठाया था. छठी कक्षा से बारहवीं तक की उनकी पढ़ाई रांची जिला के टाटीसिल्वे स्थित कैम्ब्रिज स्कूल से हुई. सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की डिग्री सिल्ली स्थित टेक्नो इंडिया से ली. पढ़ाई का पूरा खर्च सुदेश महतो ने उठाया.
सिदो कान्हू जयंती, हूल दिवस पर लगता है राजनीतिक मेला
सिदो कान्हू के वंशज एक ओर योग्यता के बावजूद नौकरी के लिए भटक रहे हैं, तो दूसरी ओर बरहेट स्थित भोगनाडीह में वीर शहीद सिदो कान्हू की जयंती 11 अप्रैल और 30 जून को हूल दिवस पर राजनीतिक मेला लगता है. इसमें प्रदेश के बड़े नेता आते हैं. शहीद के वंशजों से मिलते हैं और हाल-चाल पूछते हैं. साड़ी-धोती देकर, शहीदों की प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाकर, करोड़ों की परिसंपत्ति का वितरण करते हैं. इसके बाद शहीदों के वंशजों को कोई नहीं पूछता.
वृद्धा पेंशन व खेती-बाड़ी से चलता है घर परिवार
मंडल मुर्मू की माता सुमी टुडू की वृद्धा पेंशन से घर चलता है. मंडल की दो बहनें हैं, जिनकी शादी हो गयी है. शहीद कॉलोनी में इन्हें घर मिला हुआ है. खेती-बाड़ी और मां को मिलने वाली पेंशन से ही पूरे परिवार का भरन-पोषण होता है.
हेमंत सोरेन से है मंडल मुर्मू को आस
हूल के महानायक वीर शहीद सिदो कान्हू के छठे वंसज मंडल मुर्मू को बरहेट के विधायक और प्रदेश के मुखिया हेमंत सोरेन से बहुत सारी उम्मीदें हैं. मंडल मुर्मू ने बताया कि सीएम हेमंत सोरेन से मिले, तो नहीं हैं, लेकिन जब हाल ही में वह बरहेट आये थे, तो उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था. अब देखना है सीएम हेमंत सोरेन कब तक शहीद सिदो कान्हू के छठे वंशज को उसकी योग्यता के आधार पर नौकरी देते हैं. मंडल कहते हैं कि यदि उन्हें इंजीनियर की नौकरी मिल गयी, तो वह अपने पूर्वजों का नाम रोशन करेंगे.