Skand Sashti Vrat 2022: संतान की लंबी उम्र के लिए आज रखें स्कंद षष्ठी व्रत, जानें तिथि और पूजा मुहूर्त
Skand Sashti Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है. पंचांग के अनुसार, पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 5 जुलाई मंगलवार को 2 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है. वह 6 जुलाई को 7 बजकर 19 मिनट पर समापन होगा.
Skand Sashti Vrat 2022: जुलाई के महीने में स्कंद षष्टि का व्रत आज यानी 5 जुलाई यानी मंगलवार को रखा जा रहा है. मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है.
स्कंद षष्ठी 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 5 जुलाई मंगलवार को 2 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है. वह 6 जुलाई को 7 बजकर 19 मिनट पर समापन होगा.
सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने वाले को लोभ, मोह, क्रोध और अहंकार से मुक्ति मिल जाती है. धन, यश और वैभव में वृद्धि होती है. व्यक्ति सभी शारीरिक कष्टों और रोगों से छुटकारा पाता है.
स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि
स्कंद षष्ठी तिथि पर भगवान कार्तिकेय से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए साधक को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके पश्चात भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देने के बाद भगवान कार्तिक की फल, फूल, दही, शहद, चंदन, धूप, दीपक आदि के माध्यम से विधिपूर्वक पूजा करें. भगवान कार्तिकेय की पूजा में मोरपंख अवश्य चढ़ाएं. स्कंद षष्ठी व्रत में दिन भर में एक बार फलहार का नियम होता है. भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद पाने के लिए स्कंद षष्ठी की पूजा में नीचे दिए गए मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप जरूर करें.
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव.
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
स्कंद षष्ठी व्रत का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान स्कंद कुमार या फिर कहें भगवान कार्तिकेय ने स्कंद स्कंद षष्ठी वाले दिन ही तारकासुर का वध किया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार स्कंद षष्ठी की साधना करने पर ही च्यवन ऋषि को नेत्र ज्योति प्राप्त हुई थी. भगवान मुरुगन का आशीर्वाद दिलाने वाले इस व्रत के बारे में मान्यता है कि इस व्रत को करने पर जीवन से जुड़े बड़े बसे बड़े शत्रु पर विजय प्राप्त होती है. यह व्रत निसंतान लोगों के लिए वरदान माना जाता है, जिसे करने पर उन्हें शीघ्र ही संतान सुख प्राप्त होता है.