Skanda Sashti 2023:  इस दिन रखा जाएगा स्कंद षष्ठी व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Skanda Sashti 2023: फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी 25 फरवरी शनिवार को पड़ रही है. फाल्गुन षष्ठी की शुरुआत 25 फरवरी 12.31 सवेरे से हो रही है और यह तिथि 26 फरवरी 12.20 सवेरे तक है. इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति होती है और संतान को कोई तकलीफ होती है तो वह भी दूर होती है.

By Shaurya Punj | February 23, 2023 6:36 PM

Skand Shashthi 2023 : मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति होती है और संतान को कोई तकलीफ होती है तो वह भी दूर होती है. यह भी माना जाता है है कि इससे प्राणी के समस्त दुखों का नाश होता है. इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा के लिए भी यह व्रत रखा जाता है.

स्कंद षष्ठी का दिन और शुभ मुहूर्त

फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी 25 फरवरी शनिवार को पड़ रही है. फाल्गुन षष्ठी की शुरुआत 25 फरवरी 12.31 सवेरे से हो रही है और यह तिथि 26 फरवरी 12.20 सवेरे तक है. दक्षिण भारत में यह व्रत छह दिन रखा जाता है, मान्यता है कि इसमें से एक दिन फलाहार किया जाता है. मान्यता है कि इससे सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. स्कंद षष्ठी व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु को ऊँ तत्पुरुषाय विधमहेः महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात मंत्र का जाप किया जाता है.

मंगल भारी होने पर रखें यह व्रत

भगवान कार्तिकेय को षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह का स्वामी कहा गया है. अर्थात जिस किसी की जन्म कुंडली में मंगल अच्छी स्थिति में नहीं चल रहा हो या जिस राशि में मंगल नीच का हो, उन्हें आज स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए. दक्षिण दिशा में भगवान कार्तिकेय का निवास बताया गया है और इनका वाहन मोर है.

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

1. स्कंद षष्ठी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई करें.
2. भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को दक्षिण दिशा में मुह करके भगवान कार्तिकेय की पूजा करना चाहिए.
3. इसके बाद भगवान कार्तिकेय के साथ शिव पार्वती की प्रतिमा की स्थापना करना चाहिए.
4. पूजा के दौरान घी, दही, जल और पुष्प से पूजा करना चाहिए. कलावा हल्दी, अक्षत, चंदन, इत्र चढ़ाएं.
5. इसके बाद देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव, कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तुते मंत्र का जाप करें.
6. मौसमी फल फूल मेवा चढ़ाएं, पूजा में त्रुटि के लिए भगवान कार्तिकेय से क्षमा मांगें.
7. पूरे दिन व्रत रहें, सायंकाल पूजा के बाद भजन, कीर्तन और आरती करें.
8. रात्रि में भूमि पर शयन करें.

इसका रखें खयाल

1. इस दिन तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए.
2. इस दिन लड़ाई झगड़ा आदि से बचना चाहिए.

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