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Skanda Sashti 2023: आज रखा जा रहा है स्कंद षष्ठी का व्रत, भगवान कार्तिकेय की ऐसे होती है पूजा

Skanda Sashti 2023: आज 25 फरवरी 2023 को फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी के दिन माता गौरी और शिव पुत्र कार्तिकेय की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने और विधि-विधान पूजा करने से संतान की उन्नति होती है

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2023 7:16 AM

Skanda Sashti 2023:  फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा आज 25 फरवरी 2023 को की जाएगी. इसे संतान षष्ठी या कांड षष्ठी भी कहा जाता है.  इस दिन माता गौरी और शिव पुत्र कार्तिकेय की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने और विधि-विधान पूजा करने से संतान की उन्नति होती है और साथ ही सुखमय जीवन व्यतीत होता है.

स्कंद षष्ठी की पूजा का शुभ मुहूर्त

फाल्गुन 2023 माह में स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन आज शनिवार 25 फरवरी को किया जा रहा है. फाल्गुन शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 25 फरवरी रात 12:31 पर हो चुकी है और इसका समापन 26 फरवरी रात 12:20 पर होगा.

भगवान कार्तिकेय की ऐसे होती है पूजा

स्कंद षष्ठी की पूजा  का दक्षिण भारत में काफी महत्व है. दक्षिण में भगवान स्कंद के कई मंदिर  हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान कार्तिकेय माता पार्वती,पिता भगवान शिव और भाई गणेश से किसी बात को लेकर नाराज हो गए थे. तब वे कैलाश पर्वत से मल्लिकार्जुन चले गए थे, जोकि दक्षिण की ओर स्थित है. इसलिए दक्षिण को उनका निवास स्थान माना गया है. वास्तु शास्त्र में भी दक्षिण दिशा का संबंध भी भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय से जुड़ा है.

इस दिन जरूर करें इन मंत्रों का पाठ

इस दिन मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए ‘ऊँ तत्पुरुषाय विधमहेः महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात’ मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है.

जानें स्कंद षष्ठी की पूजा विधि

स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है और साथ ही पूरे शिव परिवार की पूजा का विधान है. स्कंद षष्ठी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल पर कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. साथ ही भगवान शिव, माता गौरी, भगवान गणेश की भी प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. भगवान के समक्ष एक पानी से भरा कलश रखें. कलश के ऊपर एक नारियल भी रख दें. भगवान कार्तिकेय को अक्षत्, हल्दी, चंदन से तिलक करें.

फिर पंचामृत, फल, मेवे, पुष्प इत्यादि भगवान को अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं. स्कंद षष्ठी की व्रत कथा पढ़ें और स्कंद भगवान की आरती करें. इस प्रकार से स्कंद षष्ठी पर पूजन करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

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