Skanda Shasti 2022: स्कंद षष्ठी आज यानी 5 जून को है. इस दिन को भगवान स्कंद ने राक्षसों का संहार किया था. ऐसा माना जाता है कि भगवान मुरुगन, जो देवताओं की सेना के सेनापति थे, ने राक्षसों तारकासुर और सुरपदमन का वध किया था. मान्यता है कि जो लोग इस दिन योद्धा भगवान स्कंद (Lord Skanda) की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. आगे पढ़ें स्कंद षष्ठी पूजा (SKANDA SASHTI PUJA) का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.
उत्तर भारत में, भगवान स्कंद को भगवान गणेश का बड़ा भाई माना जाता है जबकि दक्षिण में उन्हें छोटा भाई माना जाता है. इस वर्ष स्कंद षष्ठी व्रत 5 जून को मनाया जा रहा है. जिस दिन पंचमी तिथि और षष्ठी तिथि एक ही दिन पड़ती है, उस दिन स्कंद षष्ठी का व्रत करना शुभ माना जाता है. ऐसे अवसरों पर, पंचमी तिथि को सूर्यसंहारम दिवस मनाया जाता है.
कई मुरुगन मंदिरों में इस नियम का पालन किया जाता है. तमिलनाडु में थूथुकुडी जिले के तिरुचेंदूर शहर में प्रसिद्ध श्री सुब्रह्मण्य स्वामी देवस्थानम में स्कंद षष्ठी के दिन अनुष्ठान के लिए इसी नियम का पालन किया जाता है. षष्ठी दिवस को सुब्रमण्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. इसे कुक्के सुब्रमण्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. सभी षष्ठी भगवान मुरुगन को समर्पित हैं. चंद्र मास के दौरान शुक्ल पक्ष की षष्ठी कार्तिका वर्ष में सबसे महत्वपूर्ण है.
इस वर्ष षष्ठी तिथि का शुभ मुहूर्त 5 जून को प्रातः 04:52 से प्रारंभ होकर अगले दिन प्रातः 06:39 बजे समाप्त होगा.
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स्कंद षष्ठी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ कपड़े पहनते हैं.
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इसके बाद भगवान मुरुगन की पूजा करने के लिए पूरे दिन उपवास रखा जाता है.
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फिर भक्त भगवान स्कंद की मूर्ति को तेल के दीपक, अगरबत्ती, फूल और कुमकुम चढ़ाते हैं.
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कई भक्त इस दिन आंशिक उपवास भी रखते हैं और भगवान स्कंद की पूजा करते हैं.