सरायकेला के छऊ गुरु पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दुबे (65 वर्ष) का सोमवार को निधन हो गया. पंडित गोपाल प्रसाद दुबे सोमवार की दोपहर 12:45 बजे बैंगलोर के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. छऊ नृत्य कला के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए राष्ट्रपति के हाथों पंडित गोपाल प्रसाद दुबे को वर्ष 2012 में पद्मश्री पुरस्कार और 2017 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके निधन से पूरे सरायकेला व छऊ कलाकारों में शोक की लहर है. छऊ कलाकारों के साथ साथ आम लोगों ने भी पं गोपाल दुबे के निधन की गहरा शोक व्यक्त किया है.
छऊ गुरु पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दुबे छऊ नर्तक होने के साथ साथ छऊ गुरु, निदेशक एवं कोरियोग्राफर भी थे. पंडित दुबे देश-विदेश में विभिन्न स्थानों पर छऊ नृत्य कर चुके हैं. सरायकेला छऊ नृत्य के लिए पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दुबे आजीवन कार्य करते रहे. उनके मयूर, चंद्रभागा आदि नृत्यों को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी. पंडित गोपाल दुबे के निधन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, राज्य के मंत्री चंपई सोरेन आदि ने शोक व्यक्त किया है.
पंडित गोपाल प्रसाद दुबे का छऊ नृत्य से बचपन से ही लगाव रहा है. छऊ कला को उन्होंने बाल्यावस्था से ही सीखना शुरू किया. किशोरावस्था में ही वे इस नृत्य में पारंगत हो गये. पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दुबे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरायकेला छऊ की सतरंगी छंटा बिखेर चुके हैं. कई धारावाहिकों में छऊ के लिए कोरियोग्राफी कर चुके हैं.
पद्मश्री पंडित गोपाल प्रसाद दुबे के निधन पर सरायकेला-खरसावां में शोक की लहर है. पं गोपाल दुबे को चाहने वाले देश के विभिन्न कोने में है. लोग सोशल मीड़िया के जरीये शोक संवेदना व्यक्त कर रहे है. केंद्रीय जनजातिय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, राज्य के जनजाती कल्याण मंत्री चंपई सोरेन, जिला के उपायुक्त अरवा राजकमल, एडीसी सुबोध कुमार, एसडीओ सह राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के सचिव रामकृष्ण कुमार, एसडीओ सह राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के पूर्व निदेशक तपन पटनायक, सरायकेला नगर पंचायत के उपाध्यक्ष मनोज चौधरी, छऊ मुखौटा कलाकार गुरु प्रशांत महापात्र आदि ने पंडित गोपाल दुबे के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
छऊ नृत्य सरायकेला-खरसावां का प्रसिद्ध लोक नृत्य है. इसमें शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत का भी प्रयोग किया गया है. देश-विदेश में काफी लोकप्रिय है. कलाकार मुखौटा पहन कर पारंपरिक वाद्य यंत्र ढ़ोलक, नगाड़ा एवं शहनाई के धुन पर नृत्य करते हैं. विदेशों से भी काफी संख्या में लोग छऊ नृत्य सीखने के लिए पहुंचते हैं.
1. सुधेंद्र नारायण सिंहदेव – राजवाड़ी, सरायकेला – वर्ष 1991 में (अब स्वर्गीय)
2. केदार नाथ साहु – सरायकेला – वर्ष 2005 में (अब स्वर्गीय)
3. श्यामा चरण पति- ईचापीढ़, राजनगर – वर्ष 2006 में (अब स्वर्गीय)
4. मंगल चरण मोहंती – सरायकेला – वर्ष 2009 में (अब स्वर्गीय)
5. मकरध्वज दारोघा – सरायकेला – वर्ष 2011 में (अब स्वर्गीय)
6. पं गोपाल प्रसाद दुबे – सरायकेला – वर्ष 2012 में (अब स्वर्गीय)
7. शशधर आचार्य – सरायकेला – वर्ष 2020
रिपोर्ट : शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला.